पश्चिम बंगाल

चुनाव बाद हिंसा के मामले में टीएमसी के नेताओं से सीबीआइ ने की पूछताछ

Nidhi Markaam
30 May 2022 3:55 PM GMT
चुनाव बाद हिंसा के मामले में टीएमसी के नेताओं से सीबीआइ ने की पूछताछ
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बंगाल में चुनाव बाद हिंसा मामले की जांच सीबीआइ की टीम कर रही है। पहले भी सीबीआइ की टीम दुर्गापुर में कैंप कर बीरभूम, बांकुड़ा, पूर्व बर्द्धमान समेत अन्य जिलों में जांच के लिए गई थी

जागरण संवाददाता, दुर्गापुर। बंगाल में चुनाव बाद हिंसा मामले की जांच सीबीआइ की टीम कर रही है। पहले भी सीबीआइ की टीम दुर्गापुर में कैंप कर बीरभूम, बांकुड़ा, पूर्व बर्द्धमान समेत अन्य जिलों में जांच के लिए गई थी। फिर सीबीआइ की टीम चुनाव बाद हिंसा मामले की जांच के लिए दुर्गापुर में डेरा जमाए हुए है। सीबीआइ की एक टीम दुर्गापुर के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (एनआइटी) में कैंप कर मामले की जांच कर रही है। जहां सोमवार को बीरभूम जिले में हुई चुनाव बाद हिंसा के मामले में तृणमूल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अनुव्रत मंडल के करीबी आधा दर्जन तृणमूल कांग्रेस नेताओं से सीबीआइ ने पूछताछ की। सीबीआइ के बुलाए पर सुबह 10 बजे से पहले से ही नेताओं का दुर्गापुर एनआइटी पहुंचना शुरू हो गया व निर्धारित समय पर सभी नेता सीबीआइ के सामने हाजिर हुए। सीबीआइ की टीम ने सभी से पूछताछ की। पूछताछ के बाद सभी को छोड़ दिया। कहा जा रहा है कि कुछ दिन सीबीआइ की टीम यहां रहकर पूछताछ करेगी।

सोमवार को बीरभूम जिले के मोहम्मद बाजार ब्लाक तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष तापस सिन्हा, सैंथिया नगरपालिका के चेयरमैन बिप्लब दत्ता, सैंथिया के तृणमूल विधायक के पति देवाशीष साहा, पूर्व बर्द्धमान जिले के आउसग्राम ब्लाक के कार्यकारी अध्यक्ष अरूप मिर्धा समेत आधा दर्जन नेताओं को सीबीआइ ने सुबह दस बजे बुलाया था। सभी हाजिर भी हुए। आउसग्राम से आए अरूप मिर्धा ने सीबीआइ के पास जाने के पहले मीडिया से कहा कि क्यों सीबीआइ ने बुलाया है, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। ई-मेल पर नोटिस मेरे पास आया था। मेरे इलाके में चुनाव बाद कोई हिंसा भी नहीं हुई है। अनुव्रत के करीबी होने के कारण बुलाने के संदर्भ में कहा कि क्यों बुलाया गया है, मैं बोल नहीं सकता। अनुव्रत हमलोगों के पर्यवेक्षक है, बीरभूम जिलाध्यक्ष है। उनके साथ हमलोग राजनीति करते है, जिसमें उनसे दल को लेकर बात होती है। उन्होंने आरोप लगाया कि हमलोगों पर दबाव बनाने के लिए बुलाया गया है, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं होगा। आम जनता के लिए काम करते जाएंगे। अरूप के साथ सीबीआइ ने करीब सवा घंटा पूछताछ की। उन्होंने बताया कि तीन लोगों ने पूछताछ की। मैं क्या करता हूं, यह भी जानना चाहा। मैंने पूरा सहयोग किया है, और क्या प्रश्न किया गया, इस संदर्भ में उन्होंने कुछ कहने से इन्कार कर दिया। अगर फिर सीबीआइ बुलाती है तो फिर आएंगे। हमलोग राजनीति करते हैं, मनुष्य के साथ रहते हैं। वहीं, नेताओं के साथ सिउड़ी अदालत के वकील मलय मुखर्जी भी एनआइटी में पहुंचे, हालांकि उन्होंने कुछ कहने से इन्कार कर दिया।
गौरतलब है कि एक साल पहले, दो मई वर्ष 2021 को पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव परिणाम आया था। उस दिन बीरभूम जिले के मोहम्मदबाजार ब्लाक के तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष तापस सिन्हा ने दो-दो बार बीरभूम के तृणमूल कांग्रेस जिलाध्यक्ष अनुव्रत मंडल से फोन पर बात किया था। उस बातचीत के कारण सीबीआइ ने सोमवार को पूछताछ के लिए दुर्गापुर बुला लिया। जहां उपाधीक्षक स्तर के सीबीआइ अधिकारी ने उनसे करीब एक घंटा पूछताछ की। क्यों उन्होंने अनुव्रत को फोन किया, फोन पर क्या बातचीत हुई। सभी जानकारी सीबीआइ ने ली व फिर उन्हें वापस जाने दिया। सीबीआइ के पास जाते हुए तापस ने बताया कि रविवार की रात सीबीआइ का फोन आया था एवं व्हाट एप्पस पर मैसेज देकर सोमवार 10 बजे चुनाव बाद हिंसा के किसी मामले में बुलाया गया। सीबीआइ ने बुलाया, इस कारण यहां आया।
पूछताछ के बाद एनआइटी से बाहर निकलने पर उन्होंने बताया कि आरंभ में सीबीआइ अधिकारियों ने मैं क्या करता हूं, कालेज में कब पढ़ाई की, परिवार में कौन क्या करते है, आदि जाना। फिर उनलोगों ने एक काल विवरण दिया। जिसमें जानना चाहा कि दो मई वर्ष, 2021 को मैं दोपहर 12 बजे एवं संध्या सात बजे जिलाध्यक्ष अनुव्रत मंडल को फोन क्यों किया था। हमलोगों की क्या बात हुई थी, यह सब जानने की कोशिश की। मैंने कहा कि उस दिन चुनाव परिणाम आ रहा था। कितने वोट से हमलोग आगे चल रहे है, आदि जानकारी जिलाध्यक्ष को मैंने दिया। संध्या सात बजे चुनाव परिणाम घोषणा पूरा होने व शांतिपूर्वक सब होने की जानकारी दी। उसके बाद टीम ने इलमबाजार में एक हत्या के बारे में पूछताछ की। मैंने कहा कि अगले दिन अखबार से घटना की मुझे जानकारी मिली। इलमबाजार मेरे इलाके से बहुत दूर है। वहां क्या हुआ है, वह मेरे लिए जानना संभव नहीं है। अगले दिन मुझे अखबार से जानकारी मिली। तापस ने कहा कि मैं एक भारतीय नागरिक हूं, सीबीआइ को हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार हूं। फिर सीबीआइ बुलाती है तो जाने को तैयार हूं। उन्होंने कहा कि सीबीआइ मुझे साक्षी के रूप में बुलाया था। यह जानकारी मिलने पर मैंने जिलाध्यक्ष से बात की थी। उन्होंने भी कहा था कि बुलाया है तो जाओ।


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