पश्चिम बंगाल

हत्या मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने की सीएम ममता के चुनाव एजेंट की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

Kunti Dhruw
29 Nov 2021 2:55 PM GMT
हत्या मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने की सीएम ममता के चुनाव एजेंट की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
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कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भाजपा के एक कार्यकर्ता की हत्या के मामले में सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के नेता एसके सुपियां की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।

कोलकाता, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भाजपा के एक कार्यकर्ता की हत्या के मामले में सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के नेता एसके सुपियां की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। वह नंदीग्राम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट थे। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ता देवव्रत मैती की मौत की जांच कर रहा है। मैती पर दो मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के एक दिन बाद नंदीग्राम में कथित तौर पर हमला किया गया था जिन्होंने बाद में एसएसकेएम अस्पताल में दम तोड़ दिया था।उच्च न्यायालय ने सीबीआई को राज्य में चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच करने का आदेश दिया था।

न्यायमूर्ति देबांगसू बसाक और न्यायमूर्ति बीआर डे की खंडपीठ ने सुपियां की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी, जिनसे मामले के सिलसिले में सीबीआई पहले ही दो बार पूछताछ कर चुकी है। सुपियां के वकील किशोर दत्ता ने कहा कि राजनीतिक बदले की भावना से उनके मुवक्किल का नाम मामले में लिया गया है और सीबीआई द्वारा पांच अक्टूबर को दायर आरोपपत्र में सुपियां का नाम नहीं था। उन्होंने आग्रह किया कि उनके मुवक्किल को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वाईजे दस्तूर ने कहा कि जांच संभालने के बाद, केंद्रीय एजेंसी ने आवश्यक वैधानिक अवधि के भीतर जितना जल्द संभव हो सका, आरोपपत्र दायर कर दिया। उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा जांच का कार्यभार संभालने से पहले माहौल खराब था और एजेंसी द्वारा जांच संभाले जाने के बाद लोग आरोपी का नाम लेने के लिए आगे आए। अग्रिम जमानत की अर्जी का विरोध करते हुए दस्तूर ने केस डायरी के आधार पर अपराध की गंभीरता और याचिकाकर्ता की कथित संलिप्तता का हवाला दिया।
पीठ ने कहा, ''अपराध की गंभीरता, केस डायरी की सामग्री, गवाहों के बयान और इस बात को ध्यान में रखते हुए कि सीबीआई पूर्ण पीठ के आदेश के अनुसार जांच कर रही है और जांच का निष्कर्ष आना अभी बाकी है, हम याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देने में असमर्थ हैं।


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