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सीमा सुरक्षा बल ने ममता बनर्जी के आरोपों का किया जोरदार खंडन
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा बीएसएफ पर लगाए गए मनमानी के आरोपों पर खंडन जारी किया है। ममता ने राज्य में पंचायत चुनाव के लिए साेेेेेमवार को अपने अभियान की शुरुआत कूचबिहार जिले से की। अपने बयान में ममता ने बीएसएफ को निशाने पर लिया था। सीमावर्ती जिले में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने न केवल बीएसएफ पर ग्रामीणों को गोली मारने का आरोप लगाया, बल्कि यह भी चेतावनी दी कि सीमा सुरक्षा बल के कर्मी सीमावर्ती आबादी को डराने-धमकाने की कोशिश करेंगे, और उन्हें ग्रामीण चुनावों में उनकी पार्टी को वोट देने से रोकेंगे।
बीएसएफ ने बयान का खंडन करते हुए कहा कि कूचबिहार में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार और सच्चाई से परे हैं। बीएसएफ एक पेशेवर बल है जिसे देश भर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बीएसएफ ने कभी भी किसी भी कारण से सीमावर्ती आबादी या किसी मतदाता को नहीं डराया है। अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले भारतीय नागरिकों को सुरक्षा की भावना प्रदान करने और सीमा पार अपराधों, भारतीय क्षेत्र में अनधिकृत प्रवेश या निकास को रोकने के लिए बीएसएफ को भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात किया गया है।
बीएसएफ के गुवाहाटी फ्रंटियर द्वारा कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए भी बीएसएफ जिम्मेदार है। कूच बिहार के साथ भारत बांग्लादेश सीमा संघीय बल के गुवाहाटी फ्रंटियर के अधिकार क्षेत्र में आती है। सीमा पर रहने वाले किसी भी व्यक्ति को डराने-धमकाने की कोई शिकायत अब तक बीएसएफ या किसी सहयोगी एजेंसी को नहीं मिली है। बीएसएफ सीमा और अन्य क्षेत्रों में शांतिपूर्ण चुनावी प्रक्रिया के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
बीएसएफ के जवानों को चुनाव ड्यूटी के लिए भी तैनात किया जाता है, जिसे वे स्थानीय प्रशासन की देखरेख में करते हैं। बीएसएफ ने कहा कि पश्चिम बंगाल में सीमावर्ती आबादी का एक वर्ग मानव तस्करी और नशीली दवाओं की तस्करी जैसे सीमा पार अपराधों में शामिल है। बता दें कि राज्य में विपक्षी दलों विशेषकर भाजपा ने सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ कर ली है, जिससे सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को कुछ असुविधा हो रही है।
इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि जब भी ममता या उनकी पार्टी के अन्य शीर्ष नेता सीमावर्ती जिलों में राजनीतिक बैठकों को संबोधित करते हैं तो बीएसएफ निशाने पर आ जाती है। बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किमी से बढ़ाकर 50 किमी करने का केंद्र का फैसला भी ममता को पसंद नहीं आया और उन्होंने इसके खिलाफ पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया। हालांकि, गृह मंत्रालय और बीएसएफ का मानना है कि यह आवश्यक है।इसके अलावा, अधिकार क्षेत्र का विस्तार बीएसएफ को किसी व्यक्ति पर मुकदमा चलाने या गिरफ्तार करने की अनुमति नहीं देता है। बीएसएफ केवल जांच कर सकता है और फिर आवश्यक कानूनी कार्रवाई के लिए विवरण स्थानीय पुलिस को सौंप सकता है।
कोलकाता न्यूज