पश्चिम बंगाल

डेंगू डेटा उपलब्ध कराने में बंगाल सरकार की अनिच्छा

Admin Delhi 1
27 Sep 2023 9:33 AM GMT
डेंगू डेटा उपलब्ध कराने में बंगाल सरकार की अनिच्छा
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भाजपा ने लगाया आरोप

पश्चिम बंगाल में डेंगू की स्थिति हर गुजरते दिन के साथ चिंताजनक होती जा रही है। प्रभावित लोगों और मृत्यु के आंकड़ों पर डेटा प्रदान करने में राज्य सरकार की लगातार अनिच्छा को लेकर बड़े पैमाने पर विवाद शुरू हो गया है। इस वर्ष केंद्रीय वेबसाइट पर पश्चिम बंगाल का कोई डेटा नहीं है। नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल (एनसीवीबीडीसी) की वेबसाइट पर डेंगू के आंकड़ों में राज्‍य से संबंधित कॉलम में एनआर (रिपोर्ट नहीं किया गया) लिखा है।

आश्‍चर्यजनक रूप से पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग इस साल आधिकारिक तौर पर डेंगू प्रभावित आंकड़ों का साप्ताहिक डेटा जारी नहीं कर रहा है। पिछले साल तक राज्‍य सरकार डेंगू के आंकड़े जारी कर रही थी और एनसीवीबीडीसी के पास भी संबंधित डेटा थे। अनौपचारिक सूत्रों ने दावा किया है कि 24 सितंबर तक बीमारी से प्रभावित लोगों की कुल संख्या 38 हजार से अधिक हो गई है। मौजूदा स्थिति को लेकर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। पश्चिम बंगाल के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पांच बार के लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने चिंताजनक स्थिति को मानव निर्मित बताया।

उन्‍होंने कहा, “यह मानव निर्मित डेंगू है। सरकार को इस मामले की पहले से जानकारी थी। वह अपने लोगों के प्रति गंभीर नहीं है। यहां तक कि डॉक्टरों को भी निर्देश दिया गया है कि वे मौत का कारण डेंगू न बतायें। इससे सरकार की छवि खराब होगी।" इसी तरह का आरोप पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने लगाया है। उन्होंने कहा कि जहां सभी राज्य सरकारें केंद्र सरकार को संबंधित डेटा सौंप रही हैं, वहीं पश्चिम बंगाल सरकार एकमात्र अपवाद है।

अधिकारी ने कहा, “राज्य सरकार डेंगू से संबंधित मौतों के संबंध में कोई डेटा जारी नहीं कर रही है। मेरे पास आंकड़े हैं कि इस सीज़न में मौतों की संख्‍या पहले ही 100 से अधिक है। लेकिन राज्य सरकार डॉक्टरों पर डेंगू से हुई मौतों को अज्ञात बीमारी से हुई मौत लिखने के लिए मजबूर कर इसे छुपाने की कोशिश कर रही है।''

यहां तक कि राज्य में डॉक्टरों की बिरादरी ने भी दावा किया है कि तथ्यों को दबाने की प्रवृत्ति खतरे को और बढ़ा रही है। एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स के महासचिव डॉ. मानस गुमटा ने कहा कि तथ्यों को इस तरह छुपाने से डेंगू के खतरे को कभी भी नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "बल्कि इससे भ्रम बढ़ता है।"

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