पश्चिम बंगाल

नीमराना रिसॉर्ट के नाम पर लिया 400 करोड़ रुपए का लोन,

Ashwandewangan
19 Jun 2023 9:39 AM GMT
नीमराना रिसॉर्ट के नाम पर लिया 400 करोड़ रुपए का लोन,
x

कोलकाता। राजस्थान में अलवर जिले में नीमराना रिसॉर्ट के नाम पर लिए गए 400 करोड़ रुपए के लोन कोलकाता के बिल्डर्स संजय पसारी और राजीव पसारी डकार गए। इसमें बैंक अफसरों की मिलीभगत भी सामने आ रही है। इसे बहुत बड़ा बैंक फ्रॉड बताया जा रहा है।

इस प्रोजेक्ट में कंपनी के संचालक पहले ही जयपुर, दिल्ली और अलवर के लोगों से करोड़ों रूपए की ठगी कर चुके हैं। इसकी पीड़ितों ने शाहजहांपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई हुई है। ठगी करने वाले राजकिशोर मोदी का कहना है कि उसने अपने सारे शेयर राजीव पसारी को बेच दिए थे। फिर आगे का खेल संजय पसारी के साथ मिलकर खेला। इसमें आदित्य बिरला फाइनांस, आईएलएंडएफएस, डेब्ट फंड व फाइनेंशियल सर्विसेज ने बैंकों के साथ विस्तारा (आईटीसीएल) की लीडरशिप में कारनामे को अंजाम दिया।

कोलकाता के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संजय पसारी द्वारा रचे गए धोखाधड़ी के इस खेल में बैंकों ने भी उसका पूरा साथ दिया। करीब 150 में से 100 एकड़ कृषि भूमि, जिसका टाइटल भी क्लियर नहीं था, उसे मॉरगेज रखकर लोन जारी कर दिया। यह सब घटनाक्रम इतनी जल्दबाजी में हुआ कि 24 मार्च, 2017 को लोन स्वीकृति पत्र जारी हुआ। फिर 28 मार्च, 2017 को फेसिलिटी एग्रीमेंट, 30 मार्च को डिबेंचर सब्सक्रिप्शन एग्रीमेंट और 22 जून को शेयर प्लेज एग्रीमेंट हो गया।

सूत्रों के मुताबिक राजीव पसारी ने फ्रॉड की सारी हदें पार कर दीं। दरअसल, जिस जमीन पर 400 करोड़ रुपए का बैंक लोन उठाया गया। उस जमीन में से 50 एकड़ जमीन नगर विकास न्यास के नाम दर्ज थी। जबकि बाकी 100 एकड़ जमीन भूमि का कन्वर्जन या अप्रुवल कभी उनके नाम हुआ ही नहीं था। फिर भी बैंक लोन की शर्त संख्या 17 में सब झूठ बताकर 400 करोड़ रुपए का लोन उठा लिया गया। इस पैसे से पसारी बंधुओं ने नीमराना रिसॉर्ट का डेवलपमेंट करना बताया था।

सूत्रों के मुताबिक इस बिग फ्रॉड में फिर संजय पसारी की एंट्री हुई। मेकवेल भारत इंजीनियरिंग कंपनी लि. जिसमें वह डायरेक्टर था, लोन का सारा पैसा उस कंपनी और ग्रुप की अन्य कंपनियों में साइफन ट्रांसफर करवा लिया। इन कंपनियों में साहल बिजनेस प्रा. लि., अताश सप्लायर प्रा. लि. एलोशा मार्केंटिंग प्रा. लि. हैं। यह पैसा उसने कंपनियों के बुक्स ऑफ अकाउंट्स में इस तरह घुमाया कि घुमाते-घुमाते सारा पैसा खा-पी गए।

खुद से खुद के लिए न्याय मांग रहे पसारी बंधुः

इसमें रोचक तथ्य यह है कि अब बैंक और पसारी बंधुओं की ग्रुप कंपनियां इन्वेस्टरों की गाढ़ी कमाई के पैसे को खुर्द-बुर्द करने की अनुमति लेने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) कोलकाता में पहुंच गए हैं। मजे की बात यह है कि लोन के पैसे को डकारने वाली पसारी बंधुओं की ग्रुप कंपनियां इसमें पिटीशनर बन गई। जबकि शाहजहांपुर-नीमराना रिसॉर्ट की कंपनियां वेदिका संजीवनी प्रोजेक्ट्स, क्रिस्टोफर एस्टेट प्रा. लि. को विपक्षी यानि रेस्पॉडेंट बना लिया। जबकि पसारी बंधु दोनों में निदेशक रहे हैं। मतलब खुद से खुद को न्याय दिलाने का खेल चालू कर लिया।

उल्लेखनीय है कि संजय पसारी और राजीव पसारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जेनेवा कोर्ट द्वारा पहले भी फ्रॉड घोषित हो चुके हैं। एक मीडिया वेबसाइट पर उपलब्ध लिंक के अनुसार इनके बैंक खाते भी फ्रीज किए जा चुके थे।

निवेशकों को दिल्ली और कोलकाता बुलाकर देते रहे झांसेः

निवेशकों के मुताबिक उन्हें धोखा देने की नीयत से संजय पसारी ने उन्हें एक बार अपने दिल्ली स्थित आवास संख्या 3/30 शांतिकुंज, राव तुलाराम मार्ग पर बुलाया था। फिर अपने एडवोकेट पंकज रस्तोगी को वाट्सएप कॉल पर लेकर उन्हें जल्दी प्लॉट देने का झांसा दिया। इसके बाद इन्वेस्टरों को फिर 4 जून को कोलकाता ऑफिस 229 क्रिसेंट टॉवर, 229 एकेसी बोस रोड पर बुलाया और वहां से खुद फरार हो गया। इन्वेस्टर्स अब इन सबकी शिकायत भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य जांच एजेंसियों जैसे रेरा राजस्थान, डीआरडी, एनसीएलटी और बैंकों को कर रहे हैं।

राजनीतिक पहुंच के सहारे केस रफा-दफा कराने की कोशिशः

इधऱ, पुलिस से नोटिस तामील होने के बाद भी संजय पसारी जवाब देने के बजाय राजनीतिक पहुंच का फायदा उठाकर केस को रफा-दफा करने के लिए पुलिस पर दबाव डाल रहा है। लेकिन, उसकी कोशिश कामयाब होती नहीं दिख रही है। क्योंकि कई जांच एजेंसियों की नजर उन लोगों पर भी है जो इसकी किसी भी तरह मदद कर रहे हैं। निवेशकों का दावा है कि उनके पास संजय पसारी, राजकिशोर मोदी, सुजाता मोदी और सिद्धार्थ जयपुरिया के इस फ्रॉड में लिप्त होने, इनके द्वारा पैसे लेने और बदले में प्लॉट देने के सभी कानूनी दस्तावेज उपलब्ध हैं। उन्होंने नोटेरी से तस्दीक कराने के बाद यह दस्तावेज पुलिस को उपलब्ध करवा दिए हैं। इन्वेस्टरों के बयान भी दर्ज हो चुके हैं।

कोर्ट स्टे वाली जमीन पर बैंकों ने दे दिया लोनः

इसमें रोचक तथ्य यह है कि बैंकों ने शाहजहांपुर-नीमराना प्रोजेक्ट की उस जमीन पर भी लोन दे दिया जिस पर कोर्ट का स्टे (स्थगन आदेश) था। यानि वे इस जमीन को ना तो रहन रख सकते थे और ना ही किसी अन्य को बेच सकते थे। लेकिन, संजय और राजीव पसारी राजनीतिक रूप से इतने पावरफुल हैं कि बैंक ने कोर्ट स्टे के बावजूद लोन दे दिया। जबकि पूरे देश में कोर्ट स्टे वाली जमीन पर कहीं लोन नहीं मिलता। इस प्रकरण में तो नगर विकास ट्रस्ट (यूआईटी) ने भी जमीन के बड़े भू-भाग पर न्यायालय का स्थगन होने का नोट अंकित कर रखा है। लेकिन, पसारी जो अब गिरफ्तारी के डर से फरार हैं, ने 400 करोड़ रुपए बैंक से उठाकर अपनी दूसरे ग्रुप की कंपनियों में साइफन करके रिजर्व बैंक के नियमों से धोखाधड़ी की है। शाहजहांपुर-नीमराना प्रोजेक्ट में निवेशकों की जमीन बैंक में गिरवी रखकर इन्वेस्टरों से धोखाधड़ी की है।

मौके पर पजेशन की कागजी कार्यवाहीः

पसारी द्वारा 400 करोड़ रुपए का लोन डकारे जाने के बाद बैंक नींद से जागे। आनन-फानन में मौके पर दीवार पर एक पेज का पजेशन नोटिस चस्पा कर दिया। लेकिन, बैंक इस भूमि को नीलाम नहीं कर सकता। क्योंकि इस भूमि का टाइटल ही क्लियर नहीं है। जबकि 100 एकड़ कृषि भूमि में निजी सह खातेदार मौके पर बैठे हैं। उनमें पसारी ग्रुप के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है। इस फ्रॉड के कारण इन्वेस्टर, खातेदार, भिवाड़ी डेवलपमेंट अथॉरिटी (बीड़ा) और यूआईटी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। पुलिस से उम्मीद है कि वह जल्दी ही इस बिग फ्रॉड का खुलासा करके उन्हें न्याय दिलाएगी।

अब मैं कंपनी में डायरेक्टर नहीं हूंः

संजय पसारी कंपनी बनाने, उसमें करोड़ों रुपए की हेराफेरी कर कुल 21 में से 19 कंपनियों में डायरेक्टर पद से रिजाइन करने में माहिर संजय पसारी अब भी रटा-रटाया डायलॉग मार रहे हैं कि वह कंपनी में डायरेक्टर नहीं है। शाहजहांपुर-नीमराना प्रोजेक्ट की पूरी जमीन उसके डायरेक्टर बनने और करोड़ों रुपए खुर्द-बुर्द कर डायरेक्टर पद से रिजाइन करने के मामले से जुड़ी है। पहले राजकिशोर मोदी, उनका बेटा उदय मोदी, फिर मैकले ग्रुप कंपनी, बीटी इंडस्ट्रीज, असवा फूड, अर्नव एसोसिएट के डायरेक्टर पद से संजय पसारी ने रिजाइन कर दिया। यह खेल इनका पुराना है। लेकिन, एजेंसियां इसकी गहराई से जांच करें तो करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी, बैंक लोन फ्रॉड समेत कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।

Ashwandewangan

Ashwandewangan

प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।

    Next Story