उत्तराखंड
युवा ने भर्ती घोटालों को लेकर पीएम मोदी को लिखा खुला पत्र, हुआ वायरल
Gulabi Jagat
9 Sep 2022 11:14 AM GMT
x
सोर्स: अमृत विचार
कोई अगर पूछे कि इन दिनों उत्तराखंड में क्या चल रहा है तो जवाब होगा भर्ती घोटालों का शोर और युवाओं का आक्रोश… हर तरफ यूकेएसएसएससी पेपरलीक मामले में सीबीआई जांच की मांग उठ रही है। देहरादून से लेकर हल्द्वानी तक युवा सड़कों पर उतरे हैं। बावजूद इसके सरकार है कि कोई निर्णय नहीं ले पा रही है।
इस बीच हल्द्वानी निवासी युवा पहाड़ी कार्तिक उपाध्याय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम भावुकता से भरा तीखा पत्र लिखा है। पत्र में उत्तराखंड के युवाओं के वर्तमान एवं भविष्य के साथ राज्य की पूर्ववर्ती एवं वर्तमान सरकार द्वारा किए गए खिलवाड़ को बेपर्दा करते हुए भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच की मांग की गई है। आप भी पढ़िये सोशल मीडिया पर जारी इस पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से क्या-क्या कहा गया है।
निवेदन इस प्रकार है कि नौ नवंबर 2000 को भारत के सबसे बड़े राज्य आंदोलन 43 शहादतों के बाद एक अलग राज्य पहाड़ी राज्य उत्तराखंड बना, जो कई वर्षों से संसाधनों की कमी बेरोजगारी और असुविधाओं से जूझ रहा था,पहाड़ के लोगों ने दिल्ली हिलाने के लिए गांव की पगडंडियों से निकलना शुरू किया खेत खलिहानो से निकलकर सड़क पर आए और अलग पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की मांग शुरू कर दी ।
महोदय बड़ा दुर्भाग्य है कि उस दौरान एक उचित मांग को लेकर जब आंदोलन कर रहे थे कई प्रताड़ना आंदोलनकारियों द्वारा सही गई,चाहे वह मुजफ्फरनगर हो,मसूरी हो,खटीमा हो या अन्य जगह हो आजाद भारत होने के बाद भी उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के साथ हर तरीके की बर्बरता तत्कालीन सरकारों द्वारा करी गई। कई लोगों को गोलियों खुलेआम मार दी गईं, हमारे पहाड़ की माताओं और बहनों का बलात्कार तक इस आंदोलन के दौरान वेश्यापूर्ण राजनीति और प्रशासन द्वारा किया गया, क्योंकि यह मांग बिल्कुल सही थी तभी जाकर दिल्ली को झुकना पड़ा और अलग राज्य उत्तराखंड बना।
लेकिन महोदय उसके बाद भी आज तक उत्तराखंड वही संसाधनों की मार, बेरोजगारी की मार, पलायन की मार और असुविधाओं की मार झेल रहा है, लेकिन इस बार तो कुछ ऐसा हो चुका है कि अब मानसिक रूप से उत्तराखंड का प्रत्येक युवा बीमार हो चुका है। महोदय उत्तराखंड में अब तक की हुई भर्तियों में लगातार घोटाले सामने आ चुके हैं, किसी राज्य की विधानसभा उस राज्य को चलाने का कार्यालय होती है और वहां का विधानसभा अध्यक्ष उस कार्यालय का नेतृत्व करता है लेकिन हम युवाओं और उत्तराखंड का दुर्भाग्य देखिए उन्होंने भी इस भ्रष्टाचार में अपनी पूर्ण भूमिका निभा डाली।
महोदय पहाड़ी राज्य होने के कारण बेरोजगारी एवं सीमित संसाधन होने के कारण राज्य के युवा बमुश्किल किसी भी पेपर की तैयारी कर पाते हैं,लेकिन राज्य बनने के बाद इन सफेदपोशों ने कुछ लोगों के साथ मिलकर युवाओं की सारी मेहनत को और भविष्य को नोटों के बल पर खरीद डाला और बर्बाद कर दिया
लेकिन बड़ा दुर्भाग्य है आप जितनी बार उत्तराखंड आए आपने पहाड़ की जवानी की बात की, अब शर्म आती है कि आखिर मैंने 2014 में आपके चेहरे को देखकर वोट आखिर क्यों दिया, मुझे आज अपनी गलती पर पछतावा है क्योंकि आज दिल्ली की सत्ता भी उत्तराखंड के नेताओं के द्वारा रचे गए इस नंगे नाच को खुली आंखों से देख रही है और चुप है।
आदरणीय जेपी नारायण जी जब आंदोलन कर रहे थे तब उन्होंने राजनीति को वेश्या नाम दिया था, उससे पूर्व में प्राण कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने भी राजनीति को वेश्या ही बताया था, लेकिन जब भी मैंने यह पड़ा मुझे अजीब लगा क्योंकि मैंने राजनीति को अब तक यह समझा था कि देश एवं राज्य को चलाने के लिए यह बहुत जरूरी है। लेकिन आज उत्तराखंड के नेताओं और आपकी केंद्र सरकार की नीतियां और मौन धारण ने मुझे प्राण कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला एवं जेपी नारायण जी द्वारा राजनीति की दी गई परिभाषा से पूर्ण रूप से सहमति दिलवा दी है।
आज मैं भी स्वतंत्र रूप से कह सकता हूं राजनीति का दूसरा नाम वेश्या है। महोदय पूरे उत्तराखंड के युवाओं ने आपको पूरा समर्थन दिया, जब जब आप उत्तराखंड आए दिल से आपके साथ खड़े हो गए और लोकतंत्र में आपको लाने के लिए अपने मत का प्रयोग भी किया।
लेकिन प्रधानमंत्री महोदय आज उत्तराखंड का हर युवा आज,उत्तराखंड के पहाड़ की जवानी गुस्से में है, आपके प्रति भी और उत्तराखंड के प्रत्येक भ्रष्ट नेता के प्रति भी… महोदय हम आपसे सोशल मीडिया के माध्यम से यह मांग करते हैं कि तत्काल उत्तराखंड में सीबीआई भेजकर इन सभी भर्ती घोटालों की जांच कराई जाए, इन सभी भ्रष्ट नेताओं की जांच कराई जाए और जितने दोषी उत्तराखंड में मिलते हैं उनकी संपत्ति की जांच हो, उनके घर पर बुलडोजर चले, उनके कार्यालय पर बुलडोजर चले और विधानसभा के भीतर भी जितने अपने मित्र चहेतों और रिश्तेदारों को इन भ्रष्ट नेताओं ने रखा है उन्हें बाहर निकाला जाए और उत्तराखंड के युवाओं को उनका हक दिलाया जाए।
महोदय इस खुले पत्र में मुझे यह आपसे कहने में कोई डर नहीं है कि यदि जल्द हम युवाओं की मांग नहीं मानी गई तो हम दिल्ली की तरफ भी रुख करेंगे यह हमारा संवैधानिक अधिकार है और दूसरा आने वाले प्रत्येक चुनाव में आपका एवं आपके राजनीतिक दल का भरपूर विरोध हम युवाओं द्वारा किया जाएगा।
Gulabi Jagat
Next Story