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औरत से सम्मान मिला है।
धरती का अभिमान बढ़ा है।।
समाज ने छीना है, औरत का अधिकार।
क्यों हर बार दे औरत ही अपना बलिदान।।
उसको न समझो कमजोर।
उसकी शक्ति चारों ओर।।
बने कमिश्नर, बने गर्वनर।
औरत से जुड़ा है, उनका सम्मान।।
कभी माता तो कभी बहन ये।
हर रूप में निभाए कर्म अपना ये।।
(चरखा फीचर)
उषा गोस्वामी
मेगडीस्टेट, गरुड़
बागेश्वर, उत्तराखंड
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