उत्तराखंड

बढ़ते तापमान के साथ टिहरी के जंगलों में एक बार फिर लगी भीषण आग, 14 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित

Renuka Sahu
11 April 2022 2:25 AM GMT
बढ़ते तापमान के साथ टिहरी के जंगलों में एक बार फिर लगी भीषण आग, 14 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित
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फाइल फोटो 

उत्तराखंड की पहाड़ियों में आग लगने का सिलसिला नहीं थम रहा है. जहां पर टिहरी गढ़वाल जिले के तिवाड़ गांव के ऊपर के जंगलों में कल रात एक बार फिर भीषण आग लगी है, जिससे वन विभाग के दावों की पोल खुल गई है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तराखंड (Uttarakhand) की पहाड़ियों में आग लगने का सिलसिला नहीं थम रहा है. जहां पर टिहरी गढ़वाल (Tehri Garhwal) जिले के तिवाड़ गांव के ऊपर के जंगलों में कल रात एक बार फिर भीषण आग लगी है, जिससे वन विभाग (Forest Department) के दावों की पोल खुल गई है. हालांकि, आग की वजह से जंगल की संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा है. देर रात तक जंगल में भीषण आग लगी रही. टिहरी वन प्रभाग के DFO वनकर्मियों के साथ मौजूद रहे. DFO का कहना है कि आग के कारणों की जांच की जा रही है. साथ ही, पुलिस से भी मदद ली जा रही है.

दरअसल, प्रदेश में बढ़ते तापमान के साथ लगातार जंगलों में आग की घटनाएं हो रही हैं. जहां पर बीते 24 घंटे में गढ़वाल और कुमाऊं में 13 जगहों पर जंगलों में आग की घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं. मुख्य वन संरक्षक कार्यालय वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन कार्यालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार शनिवार को गढ़वाल में आठ और कुमाऊं में 5 स्थानों पर आग लगने की घटनाएं हुईं.

टिहरी गढ़वाल जिले के तिवाड़ गांव के ऊपर के जंगलों में लगी आग

ग्रामीणों से आग के प्रति सजग रहने की अपील की

वहीं, दोनों ही रेंजों में आरक्षित वन क्षेत्रों में आग लगी. इसमें 14.18 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जबकि 35 हजार रुपए से अधिक के आर्थिक नुकसान का आकलन किया गया है. इस दौरान मुख्य वन संरक्षक वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा ने बताया कि वनों की आग पर काबू पाने के लिए विभाग के स्तर से हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने लोगों से भी वनाग्नि के प्रति सजग रहने की अपील की है. उन्होंने बताया कि अब प्रदेश में वनाग्नि की कुल 298 घटनाएं रिपोर्ट की जा चुकी हैं, जिसमें 355 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने वनाग्नि की किसी भी घटना के प्रकाश में आने पर तुरंत सूचना देनेे की लोगों से अपील की है. ताकि समय रहते जंगलों में लगी आग पर काबू पाया जा सके.
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