नैनीताल: स्कूल में बच्चे के प्रवेश से लेकर उसकी प्रगति तक हर स्तर पर मानक तय किए जाते हैं. वहीं स्कूल वाहन चलाने वाले चालकों के लिए इस तरह के मानक आज तक न सरकार ने तय किए और न ही स्कूल प्रशासन ने. अगर चालक के पास हैवी व्हीकल चलाने का लाइसेंस है तो वह स्कूल वाहन चलाने के लिए पर्याप्त माना जाता है. हेल्थ फिटनेस भी केवल लाइसेंस देने के समय मांगी जाती है.
हल्द्वानी में तीन दिन में स्कूल बस दुर्घटना का दूसरा मामला लालकुआं में सामने आया है. हर बार की तरह मामले की शुरूआत में चालक पर शराब के नशे में होने और उसके बाद गाड़ी अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त होने के आरोप लगे.
लगातार हो रही घटनाओं के बाद परिवहन विभाग तमाम तरह की जांच-पड़ताल करता है और उसके बाद महज एक नोटिस भेजकर जबाव तलब होता है. इसके अलावा न तो स्कूल से यह पूछा जाता है कि जिस ड्राइवर की गलती से हादसा हुआ उसे किस आधार पर स्कूल बस चालक के पद पर रखा गया था. क्या उसके लिए कोई मानक तय किए गए. जबाव नहीं में मिलता है. आरटीओ संदीप सैनी का कहना है कि ड्राइवर भर्ती के लिए अलग से कोई मानक तैयार नहीं किए गए हैं. न ही सरकार और न ही सीबीएसई की ओर से इसके लिए कोई गाइडलाइन है. स्कूल बस चालक के पास केवल भारी वाहन चलाने का लाइसेंस होना जरूरी होता है. वहीं लाइसेंस बनने और उसके रिन्यूवल के समय परिवहन विभाग में चालकों की मेडिकल हेल्थ फिटनेस रिपोर्ट मांगी जाती है.