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नैनीताल, हाईकोर्ट ने इंडिपेंडेंट मेडिकल इनीशिएटिव संस्था की वर्ष 2019 की जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए हाथी कॉरिडोर के संबंध में राज्य और केंद्र सरकार को विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने पूर्व में सरकार से पूछा था कि हाथियों पर क्रूरता करने की किसने अनुमति दी।
मामले के अनुसार, दिल्ली की इंडिपेंडेंट्स मेडिकल इंटीवेट सोसाइटी ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की। इसमें कहा गया कि प्रदेश के 11 हाथी कॉरिडोर मार्गों पर अतिक्रमण कर वहां व्यावसायिक भवन बनाए जा चुके हैं। इसमें तीन हाथी कॉरिडोर रामनगर-मोहान सीमा से लगते हुए 27 किमी हाईवे में स्थित हैं, जबकि रामनगर के ढिकुली क्षेत्र में पड़ने वाले कॉरिडोर में 150 से अधिक व्यावसायिक निर्माण के चलते उक्त परिक्षेत्र पूरी तरह बंद हो चुका है।
अल्मोड़ा जिले के मोहान क्षेत्र में निर्माण होने से रात्रि में वाहनों की आवाजाही के चलते हाथियों को कोसी नदी में पहुंचने में बाधा हो रही है। एक परिपक्व हाथी को प्रतिदिन 225 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। व्यावसायिक भवनों में रात्रि में होने वाली शादियों और पार्टी में बजने वाले संगीत से वन्यजीवों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि वन विभाग द्वारा जंगलों में मानव दखलांदाजी को रोकने के बजाय हाथियों को हाईवे पर आने से रोका जा रहा है। इसमें मिर्च पाउडर और पटाखों का प्रयोग किया जा रहा है। इससे हाथियों के व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है और वे हिंसक हो रहे हैं। बीते 1 साल में हाथियों की हमले की 20 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं।
अमृत विचार।
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