उत्तराखंड

ऋषिकेश में जल जमाव बन जाता है जी का जंजाल

Admin Delhi 1
20 May 2023 3:00 PM GMT
ऋषिकेश में जल जमाव बन जाता है जी का जंजाल
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ऋषिकेश न्यूज़: नगर निगम मानसून के दौरान प्रतिवर्ष जलभराव की समस्या से निपटने के लिए 65 लाख से अधिक खर्च का दावा करता है. लेकिन यह भारी भरकम खर्च कहां हो रहा है, यह बड़ा सवाल है. शहर के मुख्य मार्गों के किनारे निकासी के लिए बने नाले अतिक्रमण की जद मं हैं. समुचित सफाई के अभाव में नाले-नालियां गंदगी से अटे पड़े हैं. ऐसे में हल्की बारिश में शहर की सड़कें जलभराव से तालाब बन जाती हैं.

ऋषिकेश में ड्रेनेज सिस्टम में सुधार को लेकर नगर निगम प्रशासन गंभीर नहीं है. अधिकारियों की उदासीनता के चलते जल निकासी के लिए बने नाले अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए हैं. बरसात में हरिद्वार बाईपास मार्ग किनारे जंगल से तहसील चौक की ओर आने वाले बाढ़ के पानी की निकासी के लिए प्रगति विहार क्षेत्र की सड़क के दोनों किनारों पर नाले बनाए गए हैं. वर्तमान में नाले कबाड़ी और बिल्डिंग मेटेरियल सप्लायर के कारोबार का अड्डा बने हैं. एक ओर नाले पर कबाड़ का सामान बिखरा होने से नाला बंद हो चुका है और दूसरे छोर के नाले के ऊपर ईंटों के ढेर खड़े हैं, इससे नालों की सफाई नहीं हो पाती. स्थानीय लोगों का कहना कि इस तरह की बदइंतजामी पिछले कई सालों से है. ऐसे ही गंगानगर से परशुराम चौराहे और पुरानी चुंगी तिराहे तक निकासी के लिए नाले का निर्माण आधा अधूरा है. लापरवाही के चलते बरसात में पुरानी चुंगी तिराहा जलमग्न रहता है.

शहर के प्रमुख बाजार मुखर्जी मार्ग, क्षेत्र रोड, गोल मार्केट, घाट रोड, रेलवे रोड पर निकासी के लिए बने नाले अतिक्रमण की जद में है. कई जगह से नालों का हिस्सा गायब हो चुका है.

20 सालों में कई गुना बढ़ी आबादी

तीर्थनगरी ऋषिकेश में ड्रेनेज सिस्टम तो नहीं बना. निकासी की जहां समस्या आयी, वहीं जरूरत के मुताबिक नाली या नाला बनाया गया. लेकिन इन्हें किसी बड़े नाले में टेप नहीं करने से बरसात में पानी सड़क पर बहता है. हैरत की बात यह कि शहर में 1968 में सीवर लाइन बिछी थी, तब आबादी बामुश्किल 25 हजार रही होगी. वर्तमान में आबादी करीब 1 लाख 6 हजार है. नगर पालिका से नगर निगम बनने के बाद दो ग्रामसभा के शामिल होने से क्षेत्र का भी विस्तार हुआ है.

ऋषिकेश के लिए स्मार्ट सिटी की घोषणा नहीं

तीर्थाटन और पर्यटन क्षेत्र में शुमार ऋषिकेश सरकारी उपेक्षाओं का शिकार रही है. दशकों बाद भी यहां अलग से ड्रेनेज सिस्टम नहीं है. स्मार्ट सिटी में शामिल होने से शहर के विकास की संभावना थी, लेकिन इसे स्मार्ट सिटी में शामिल करने की घोषणा नहीं हुई.

अब हुई अमृत-दो योजना की घोषणा

नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त रमेश रावत ने बताया कि अमृत-दो योजना में ऋषिकेश को शामिल किया गया है. इस योजना के तहत क्या कार्य होंगे अभी स्पष्ट नहीं है. उम्मीद है कि इस योजना से शहर के ड्रेनेज सिस्टम, सड़कों आदि का सुधार होगा.

उत्तराखंड अर्बन सेंटर डेवलपमेंट एजेंसी का शहर के ड्रेनेज सिस्टम, सड़क, पार्किंग आदि विकास कार्य के लिए केएफडब्ल्यू जर्मन संस्था के साथ करार हुआ है. वर्तमान में पूरे क्षेत्र का सर्वे चल रहा है. सर्वे की प्रक्रिया के बाद डीपीआर तैयार की जाएगी. जल्द शहर का कायाकल्प होगा.-राहुल कुमार गोयल, नगर आयुक्त, ऋषिकेश

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