उत्तराखंड

पहाड़ी इलाकों में ग्रामीण एकत्रित कर रहे पिरूल, जानें कितने रुपए में खरीद रही सरकार

Tara Tandi
16 May 2024 9:24 AM GMT
पहाड़ी इलाकों में ग्रामीण एकत्रित कर रहे पिरूल, जानें कितने रुपए में खरीद रही सरकार
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उत्तराखंड : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल रंग लाती नजर आ रही है। सीएम की पहल के बाद उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में ग्रामीण पिरूल एकत्र कर रहे हैं। बता दें धामी सरकार 50 रूपये किलो की दर से पिरूल खरीद रही है। जंगलों की आग को देखते हुए सीएम धामी ने ग्रामीणों को पिरूल खरीदने के निर्देश दिये थे।
पहाड़ी इलाकों में ग्रामीण एकत्रित कर रहे पिरूल
उत्तराखंड के जंगलों में बढ़ती आग की घटनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिरूल एकत्रित करने की अपील की थी। सीएम धामी की अपील अब रंग लाती दिख रही है। पहाड़ों में ग्रामीण लोग अब पिरूल एकत्रित करते नजर आ रहे हैं। बता दें धामी सरकार 50 रूपये किलो की दर से पिरूल खरीद रही है।
क्या है ‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ’ मिशन ?
‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ’ मिशन के तहत ग्रामीणों को जंगलों से पिरूल इकट्ठा कर के लाना होगा। जिसके उन्हें रूपए मिलेंगे। सीएम धामी ने बताया कि इस मिशन के तहत जंगल की आग को कम करने के उद्देश्य से पिरूल कलेक्शन सेंटर पर 50 रूपए किलो की दर से पिरूल खरीदे जाएंगे। बता दें कि इस मिशन का संचालन पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा किया जाएगा। इसके लिए 50 करोड़ का कार्पस फंड पृथक रूप से रखा जाएगा।
आप भी कमा सकते हैं पिरूल से रूपए
आप भी जंगलों में आग लगने के सबसे बड़े कारण पिरूल से पैसे कमा सकते हैं। हालांकि पहाड़ों पर पिरूल को पहले से ही इकट्ठा किया जाता है। लेकिन ये पिरूल गौशाला में इस्तेमाल के लिए उपयोग में लाया जाता है। लेकिन अब इस से आप पैसे कमा सकते हैं। ‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ’ मिशन के तहत आपको पिरूल को इकट्ठा कर पिरूल कलेक्शन सेंटर तक ले जाना है। इसके आपको प्रति किलो 50 रूपए मिलेंगे।
त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल में शुरू हुआ था प्रोजेक्ट पिरूल
आपको बता दें कि प्रदेश में साल 2018 में पिरूल नीति लागू की जा चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में प्रोजेक्ट पिरूल शुरू किया गया था। इस योजना के तहत पिरूल से बिजली बनाई गई थी। बता दें कि कुछ समय के लिए पिरूल से बिजली का उत्पादन भी हुआ था। लेकिन फिर ये योजना ठीक से चल नहीं पाई। एक बार फिर सीएम धामी के कार्यकाल में इस योजना को शुरू किया गया है।
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