उत्तराखंड

Vat Savitri : वट सावित्री व्रत की धूम, सुहाग की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने रखा व्रत

Tara Tandi
6 Jun 2024 11:26 AM GMT
Vat Savitri : वट सावित्री व्रत की धूम, सुहाग की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने रखा व्रत
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Champawat चम्पावत : देशभर में आज वट सावित्री व्रत धूमधाम से मनाया जा रहा है। महिलाओं के द्वारा अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए बट सावित्री का व्रत किया जा रहा है। उत्तराखंड में भी महिलाओं में वट सावित्री व्रत के लिए खासा उल्लास देखा जा रहा है। लोहाघाट में सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री व्रत की पूजा अर्चना कर अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना की।
वट सावित्री व्रत की धूम
लोहाघाट के हथरंगीया के प्रसिद्ध सर्वदेव मंदिर में क्षेत्र की सैकड़ों महिलाओं द्वारा आज सज-धज कर सामूहिक रूप से वट सावित्री व्रत की पूजा अर्चना की। महिलाओं ने अपने सुहाग की लंबी उम्र तथा परिवार में सुख शांति के लिए प्रार्थना की।
इस दौरान महिलाएं रंगीली पिछौड़ी में नजर आईं।
पंडित प्रकाश पुनेठा ने बताया पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावित्री ने अपने पति सत्यवान की लंबी उम्र के लिए व्रत किया था। उन्होंने बताया जब यमराज सावित्री के पति सत्यवान के प्राण ले जा रहे थे तो सावित्री यमराज से लड़ गई थी। सावित्री यमराज से अपने पति के प्राण वापस करने की मांग करने लगी। तो परेशान होकर यमराज ने सावित्री से तीन वरदान मांगने को कहा।
सावित्री ने यमराज से अपने ससुर का राज्य वापस प्राप्त करने, उनकी आंखें ठीक करने तथा 100 पुत्रों की मां बनने का वरदान मांगा। यमराज ने सावित्री को जल्दबाजी में तीनों वरदान दे दिए। लेकिन उसके बाद भी सावित्री ने यमराज का पीछा नहीं छोड़ा तो परेशान यमराज बोले अब क्यों मेरे पीछे आ रही हो ? तो सावित्री ने कहा आपने मुझे पुत्रवती होने का वरदान तो दे दिया लेकिन मेरे पति के प्राण आप ले जा रहे हैं तो आपका वरदान कैसे सत्य साबित होगा। मजबूर होकर यमराज ने सावित्री के पति के प्राण वापस देने पड़े
ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है वट सावित्री व्रत
तब से ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री का व्रत किया जाता है। वट सावित्री का व्रत करने से महिलाओं के पति की आयु लंबी होती है। बता दें कि इस व्रत में वट वृक्ष की पूजा की जाती है और उसकी परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा के दौरान 108 बार सूत लपेटा जाता है। इसके साथ ही महिलाएं सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस कथा को सुनने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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