उत्तराखंड

उत्तरकाशी जिला पंचायत सदस्य भाजपा मुख्यालय में धरने पर बैठे

Rani Sahu
19 Dec 2022 12:59 PM GMT
उत्तरकाशी जिला पंचायत सदस्य भाजपा मुख्यालय में धरने पर बैठे
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उत्तराखंड :उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण को पद से हटाने की मांग को लेकर जिपं सदस्यों ने मोर्चा खोल दिया है। सदस्य सोमवार को देहरादून में भाजपा मुख्यालय में धरने पर बैठ गए। उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। वहीं, सरकार के एक मंत्री पर जिला पंचायत अध्यक्ष को संरक्षण देने का भी आरोप लगाया।
उनका कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और दो अलग-अलग जांचों में भ्रष्टाचार की पुष्टि हो चुकी है। कहा कि बिजल्वाण कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन अपनी सरकार के एक मंत्री उन्हें संरक्षण दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि बिजल्वाण के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो वह मंत्री के आवास पर धरना देंगे।
बता दें कि दो दिन पहले भी सदस्यों ने पार्टी कार्यालय पर धरना दिया था। तब प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें कार्रवाई का आश्वासन दिया था। प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें आश्वास्त किया था कि वह उनके मसले पर मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे और जो भी उचित होगा, वह कार्रवाई होगी।
वित्तीय अनियमितताओं की हुई थी पुष्टि
पिछले दो साल से जिला पंचायत उत्तरकाशी के अंतर्गत विभिन्न निर्माण कार्यों को लेकर सवाल उठ रहे थे। इस संबंध में शिकायतें शासन तक भी पहुंचीं। जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण पर आरोप है कि उन्होंने बिना कार्य कराए ही कार्यदायी संस्था और ठेकेदारों को भुगतान कर दिया। टेंडर आवंटन में भी पारदर्शिता का ध्यान नहीं रखा गया। शिकायत पर शासन ने पहले उत्तरकाशी के जिलाधिकारी और फिर मंडलायुक्त से जांच कराई।
जांच में प्रथमदृष्ट्या आरोप सही पाए गए। इसमें उत्तरकाशी जिला पंचायत के तत्कालीन प्रभारी अपर मुख्य अधिकारी अभियंता संजय कुमार और जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण को जिम्मेदार ठहराया गया। इसके बाद शासन ने बिजल्वाण को अक्तूबर 2021 में कारण बताओ नोटिस जारी किया। उनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया। ऐसे में बिजल्वाण और प्रभारी अपर मुख्य अधिकारी को पद से हटा दिया गया। जनवरी 2022 में शासन ने डीआईजी पी रेणुका देवी और एसपी उत्तरकाशी को शामिल करते हुए एसआईटी का गठन किया। एसआईटी ने करीब 10 महीने में जांच पूरी कर नवंबर में मुकदमे की अनुमति के लिए फाइल शासन को भेजी थी। एसआईटी जांच में भी वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि हुई थी।
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