उत्तराखंड
उत्तराखंड: देखें वीडियो; पानी के तेज बहाव में बह गई स्कूल बस, बस चालक और हेल्पर को हल्की चोट आई
Kajal Dubey
20 July 2022 4:57 PM GMT

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उत्तराखंड के चंपावत में एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। पूर्णागिरि मार्ग स्थित किरोड़ा नाले में मंगलवार (19 जुलाई, 2022) सुबह स्कूली बच्चों को लेने जा रही बस तेज बहाव में बह गई। बस चालक और हेल्पर को इस दुर्घटना में चोट आई है। दोनों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां इनका इलाज चल रहा है। हादसे के वक्त बस में बच्चे नहीं थे।
घटना की पुष्टि करते हुए उत्तराखंड के टनकपुर के एसडीएम हिमांशु कफालटिया ने कहा, 'उस बस में कोई स्कूली बच्चा नहीं बैठा था। इसमें सिर्फ ड्राइवर और कंडक्टर मौजूद थे। बस को बाहर निकाल लिया गया है।"
ग्रामीणों के मुताबिक बस चालक को कुछ देर रुकने को कहा गया मगर उफनते नाले के बीच वह बस को ले गया। हादसे में स्कूल बस का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। जेसीबी की मदद से स्कूल बस को खाई से निकाल लिया गया है।
#WATCH उत्तराखंड: बारिश की वजह से टनकपुर में एक स्कूल बस पानी के तेज़ बहाव में बह गई। pic.twitter.com/BQYlA7dqVb
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 19, 2022
नाले में बहाव तेज होने की वजह से फिलहाल पूर्णागिरि मार्ग पर यातायात भी बंद किया गया है। कोतवाल चंद्र मोहन सिंह ने बताया कि सुरक्षा को देखते हुए वाहनों के आवागमन पर रोक लगाई गई है। जिले में बारिश के बाद नदियां-नाले उफान पर हैं। बारिश के बाद भूस्खन से सड़कें भी बंद हैं, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है।
उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश हो रही है। मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले तीन दिनों के लिए उत्तराखंड के कई जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया। सात जिलों- देहरादून, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, चंपावत, उधम सिंह नगर और हरिद्वार को भी आईएमडी की चेतावनी के मद्देनजर अलर्ट पर रखा गया है।
40 यात्रियों को किया गया रेस्क्यू
कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए 40 यात्री उत्तराखंड में फंसे हुए थे, जिन्हें सरकार ने रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। यह सभी 40 यात्री 36 घंटे तक फंसे हुए थे। उत्तराखंड में भी लगातार बारिश हो रही है, जिससे लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त है। कैलाश मानसरोवर यात्रा से यात्री लौट रहे थे और इसी दौरान वह उत्तराखंड के बूंदी में फंस गए थे। पिथौरागढ़ जिला प्रशासन ने हेलीकॉप्टर से यात्रियों को रेस्क्यू किया और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। यात्रियों को रेस्क्यू करने के लिए 8 बार हेलीकॉप्टर को उड़ान भरनी पड़ी। यात्रियों को रेस्क्यू कर धारचूला मुख्यालय पहुंचाया गया, जिसके बाद तीर्थ यात्रियों को वाहनों से उनके गंतव्य स्थान के लिए रवाना किया गया।
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