उत्तराखंड

उत्तराखंड में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि, बदले मौसम से खेती-बागवानी को भारी नुकसान

Kunti Dhruw
15 May 2022 12:22 PM GMT
उत्तराखंड में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि, बदले मौसम से खेती-बागवानी को भारी नुकसान
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उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में मई के आगाज के साथ ही मौसम का मिजाज पूरी तरह बदला है.

पिथौरागढ़. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में मई के आगाज के साथ ही मौसम का मिजाज पूरी तरह बदला है. आलम ये है कि आए दिन भारी बारिश के साथ ओलावृष्टि हो रही है. मौसम में आई ये तब्दीली खेती और बागवानी को भारी नुकसान पहुंचा रही है. मौसम के इस बदलाव ने खेती और किसानों के लिए कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं.

मई के आगाज के साथ ही पहाड़ों में इस बार आए दिन बारिश का तांडव नजर आ रहा है. हालात ये हैं कि भारी बारिश के साथ गिर रहे ओलों से खेती और बागवानी को भारी नुकसान की आशंका है. मौसम में आई इस तब्दीली की सबसे अधिक मार गेहूं पर पड़ रही है. गेहूं कटाई से पहले ही बारिश और ओलावृष्टि का तांडव आए दिन देखने को मिल रहा है. गेहूं के अलावा मौसम की मार जौ, चना, मसूर और मटर पर भी पड़ रही है. विकेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मीकांत का कहना है कि मई के शुरुआत से ही भारी बारिश कम होती है, ऐसे में जो फसलें अभी खड़ी हैं, उन्हें खासा नुकसान हो सकता है.
साल दर साल बढ़ रहा है पहाड़ों पर पारा
बीते कुछ सालों में पहाड़ों में मौसम के मिजाज में काफी तब्दीली देखने को मिली है, जो रबी की फसलों के लिए काफी घातक साबित हो रही है. यही नहीं बीते सालों में तापमान में भी भारी इजाफा हुआ है. जानकारों की मानें तो साल 2020 में मई के महीने में अधिकतम तापमान 28 डिग्री था, जबकि 2021 में ये बढ़कर 30 डिग्री पर जा पहुंचा. इस साल मई के पहले पखवाड़े में ही पहाड़ों का अधिकतम पारा 32 डिग्री पहुंच चुका है. विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसधान संस्थान के सीनियर साइनटिस्ट डॉ. जेएस बिष्ट का कहना है कि तापमान में हर साल हो रही बढ़ोत्तरी भी मौसम के बदलाव की वजह हो सकती है.
बदले मैसम में क्या करें किसान
साल दर साल बदल रहा मौसम चक्र खेती और बागवानी को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रहा है. ऐसे में अब जरूरी हो गया है कि जानकार बदले मौसम के हिसाब से खेती और बागवानी का नया टाइम टेबल तैयार करें, ताकि किसानों और कास्तकारों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके.


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