उत्तराखंड

उत्तराखंड : रातभर हावड़ा-धनबाद रेलखंड पर नहीं चली ट्रेनें

Admin2
13 July 2022 11:26 AM GMT
उत्तराखंड : रातभर हावड़ा-धनबाद रेलखंड पर नहीं चली ट्रेनें
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14 घंटे बाद मलबे से निकाला गया चारों मजदूरों का शव

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : प्रधानखंता रेलवे स्टेशन के दक्षिण छाताकुल्ही के पास अंडरपास निर्माण के दौरान धंसी मिट्टी में दबे चारों मजदूरों का शव 14 घंटे बाद मलबे से निकाला गया। बुधवार की सुबह साढ़े 10 बजे चौथे शव को निकाला गया। मजदूरों के दबने से आक्रोशित लोग मंगलवार की देर रात प्रधानखंता स्टेशन पर रेल पटरी पर बैठ गए थे। गुस्साए लोगों ने बुधवार की सुबह तक हावड़ा-धनबाद रेलखंड पर ट्रेनें नहीं चलने दीं। रातभर अप और डाउन की ट्रेनें जहां-तहां खड़ी रहीं। पटरी पर आंदोलन को देखते हुए प्रधानखंता होकर चलने वाली 15 ट्रेनों के मार्ग बदल दिए गए। पांच ट्रेनों को रद्द करना पड़ा।

मंगलवार की रात साढ़े आठ बजे यह हादसा हुआ था। अंडरपास की कंक्रीट बॉक्स लगाने के दौरान अचानक मिट्टी का ढेर भरभरा कर ढह गया था। नीचे काम कर रहे प्रधानखंता छाताकुल्ही गांव के सौरव धीवर (25 वर्ष), विक्रम महतो (30 वर्ष), पप्पू कुमार महतो (35 वर्ष) और निरंजन महतो (30 वर्ष) मलबे में दब गए थे। मजदूरों के दबने की सूचना पर छाताकुल्ही व आसपास के गांव के सैकड़ों लोग घटना स्थल पर पहुंच गए थे और रेल प्रशासन और ठेकेदार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मुआवजे की मांग कर रहे थे। मुआवजा मिलने तक आक्रोशित रेल पटरी से उठने को तैयार नहीं थे। घटना की सूचना पर देर रात डीआरएम आशीष बंसल, सीनियर डीपीओ जेपी सिंह, सीनियर डीईएन कोआर्डिनेशन अमित कुमार और आरपीएफ के सीनियर कमांडेंट हेमंत कुमार मौके पर पहुंचे थे। रातभर चली वार्ता में ग्रामीण 20-20 लाख रुपए और मृतक के आश्रित को नौकरी की मांग पर अड़े रहे। सुबह कांट्रैक्ट मुआवजा के प्रावधान के अनुसार रुपए देने का भरोसा दिया गया। चारों मृतकों के परिजनों को सुबह में तत्काल 50-50 हजार रुपए दिया गया। इसके बाद सुबह 5.22 बजे ग्रामीणों का धरना समाप्त हुआ और ग्रामीण पटरी से हटे। सुबह 5.38 बजे अप में शक्तिपुंज एक्सप्रेस हावड़ा की ओर रवाना हुई।
source-hindustan


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