उत्तराखंड: हथिनी आशा और इंसान के बीच की गहरी दोस्ती, कॉर्बेट प्रशासन ने महावत को दोबारा ड्यूटी पर बुला लिया
नैनीताल न्यूज़: कहते हैं प्रेम वह भाषा है, जिसे बेजुबान भी समझते हैं। दुनिया को जंग की नहीं, प्यार की जरूरत है, क्योंकि यही वो अहसास है, जो हमारी इस दुनिया को और खूबसूरत बनाता है। आज हम आपको एक हाथी और उसके महावत के बीच के स्नेह की कहानी सुनाएंगे। इस महावत का अपने हाथी साथ वैसा ही रिश्ता है, जैसा किसी परिजन के साथ होता है। यही वजह रही कि रिटायरमेंट के बावजूद हाथिनी आशा को संभालने के लिए नैनीताल के कॉर्बेट प्रशासन ने महावत शरीब को दोबारा ड्यूटी पर बुला लिया। इस बार आशा हथिनी और महावत शरीफ को फतेहपुर के जंगल में हमलावर बाघ को ढूंढने की जिम्मेदारी दी गई है। यह बाघ जनवरी और फरवरी में तीन लोगों को मौत के घाट उतार चुका है। अब जंगल में बाघ को तलाशने के लिए हथिनियों की मदद ली जा रही है।
ढिकाला जोन से दो हथिनी फतेहपुर रेंज पहुंच चुकी हैं। इनका नाम आशा और गोमती है। आशा को साल 2002 में असम के काजीरंगा नेशनल पार्क से लाया गया था। तब से रामनगर के शरीफ महावत के तौर पर आशा को संभाल रहे हैं। सालों बाद दोनों का रिश्ता इस कदर मजबूत हो गया है कि रिटायर होने के बाद भी शरीफ को आशा हथिनी से जुदा नहीं किया गया। 18 साल से दोनों एक-दूसरे का साथ निभा रहे हैं। आशा हथिनी छह बार टाइगर रेस्क्यू कर चुकी है। हर अभियान में उसकी कमान शरीफ के हाथ में थी। शरीफ कहते हैं कि टाइगर रेस्क्यू के दौरान हथिनी के साथ महावत को भी खासा सतर्क रहना पड़ता है। अफसर भी मानते हैं कि शरीफ के इशारों और आवाज को समझकर जिस तरह आशा रेस्क्यू अभियान का अहम हिस्सा बन जाती है, वह कोई दूसरा नहीं कर सकता। यही वजह है कि रिटायरमेंट के बावजूद वन विभाग ने शरीफ को दोबारा ड्यूटी पर बुलाया है।