उत्तराखंड: प्रताप पोखरियाल ने 15 हेक्टेयर में फैले जंगल को अकेले आग से बचाया
देवभूमि उत्तराखंड न्यूज़: मगर उत्तरकाशी के एक 64 वर्षीय बुजुर्ग ने यह साबित कर दिया है कि भले ही सरकार और वन विभाग इस पर ध्यान न दें मगर उनकी हिम्मत और हौसले में कमी नहीं आएगी। दरअसल उत्तरकाशी के वरुणावत की तलहटी पर 64 वर्षीय बुजुर्ग एवं पर्यावरण प्रेमी प्रताप पोखरियाल रविवार की रात आठ बजे से लेकर सोमवार सुबह चार बजे तक आग बुझाने में जुटे रहे। उनकी कोशिश का नतीजा है कि प्रताप पोखरियाल ने 15 हेक्टेयर में फैले श्याम स्मृति वन को जलने से बचा लिया। भले ही आग की लपटों से श्याम स्मृति वन के एक हिस्से में एक हजार से अधिक पौधे जल गए, लेकिन अगर वह मेहनत नहीं करते और हार मान जाते तो शायद पूरा वन ही आग की चपेट में आ जाता। दरअसल वरुणावत की तलहटी पर श्याम स्मृति वन को रोपित करने और संरक्षित करने वाले प्रताप पोखरियाल को उनकी बेटी ने रात आठ बजे फोन किया कि श्याम स्मृति वन की ओर जंगल की आग फैल रही है। समय अधिक होने की वजह से प्रताप पोखरियाल को कोई मजदूर नहीं मिल पाया तो वह खुद ही खड़ी पहाड़ी वाले जंगल में आग बुझाने में जुट गए।
प्रताप पोखरियाल ने कहा कि आग बुझाने के लिए अग्निशमन विभाग और वन विभाग के कुछ कर्मी बिना संसाधनों के पहुंचे। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल और जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ. प्रेम पोखरियाल ने आग बुझाने में सहयोग किया। प्रताप पोखरियाल का कहना है कि उन्होंने वन विभाग से अपील की थी कि श्याम स्मृति वन और नमामि गंगे के जंगल को आग से बचाने के लिए पिरूल को एकत्र कर हटाया जाए। लेकिन वन विभाग ने लापरवाही बरतते हुए उनकी बात को अनसुना कर दिया। उनका कहना है कि जंगल में आग लगने की सूचना भी उनको समय से नहीं मिली नहीं तो वे आग को फैलने ही नहीं देते। प्रताप पोखरियाल को उनकी बेटी ने उनको सूचना दी थी। अगर वन विभाग जंगल में आग लगने की सूचना उनको पहले ही दे देता तो वे मजदूरों के साथ मिलकर जंगल की आग पर काबू पा चुके होते। Uttarkashi के 64 वर्षीय बुजुर्ग Pratap Pokhriyal रविवार की रात आठ बजे से लेकर सोमवार सुबह चार बजे तक आग बुझाने में जुटे रहे। उन्होंने 15 hectare में फैले forest को fire से बचाया। उनकी ही हिम्मत और जज्बे का नतीजा है कि 15 हेक्टेयर जंगल आग की लपटों से बच गया।