उत्तराखंड

उत्तराखंड: गुलदारों के डर से शहर में लोग घरों में कैद, जानिए गुलदारों के जंगल से शहर में आने का कारण

Admin Delhi 1
8 April 2022 9:12 AM GMT
उत्तराखंड: गुलदारों के डर से शहर में लोग घरों में कैद, जानिए गुलदारों के जंगल से शहर में आने का कारण
x

नैनीताल न्यूज़: यहां बाघ के हमले में अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है। जंगलों में बाघों की बढ़ती संख्या के चलते तेंदुए जंगल छोड़कर आबादी वाले इलाकों में पहुंच रहे हैं। हल्द्वानी से सटे रामनगर डिवीजन की फतेहपुर रेंज में बीते 3 महीने के भीतर बाघ के हमले में छह लोगों की मौत हुई है। यहां बाघों के मूवमेंट की वजह से तेंदुओं को भी डर लगने लगा है। वन विभाग खुद मानता है कि 3 महीने के भीतर फतेहपुर रेंज से जुड़े बसानी से लेकर काठगोदाम तक के गांव में 12 बार तेंदुओं को देखा गया। दरअसल तेंदुए बाघ से दूर ही रहते हैं। अगर बाघ किसी एक इलाके को अपने क्षेत्र घोषित कर देता है तो गुलदार वहां से चले जाते हैं। बाघ और तेंदुए के बीच संघर्ष की स्थिति में पलड़ा बाघ का ही भारी रहता है। वैसे क्षेत्र में गुलदारों को पहले भी आबादी वाले इलाकों में देखा जा चुका है, लेकिन बीते 3 महीनों में इस तरह की घटनाएं बढ़ी हैं। गुलदार की चहलकदमी के कई सीसीटीवी फुटेज और वीडियो भी सामने आए हैं।


ऐसे में ये सवाल खड़ा होना लाजिमी है कि क्या सिर्फ एक रेंज में बाघों की संख्या बढ़ने की वजह से ही गुलदार मजबूरी में जंगल से बाहर निकल रहे हैं। बाघ 20 किलोमीटर के जंगल को अपना इलाका मानता है। फतेहपुर चकलुआ से रानीबाग तक का एरिया 25 किलोमीटर लंबा है। क्योंकि शरीर और ताकत के मामले में तेंदुए बाघ से कमतर होते हैं, इसलिए तेंदुए अक्सर बाघ से बचने की कोशिश करते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि फतेहपुर रेंज के जंगल में एक नहीं बल्कि चार बाघ घूम रहे हैं। आदमखोर बाघ को पकड़ने के अभियान में शामिल रहे एक शिकारी का कहना है कि यही वजह है कि तेंदुए आबादी वाले इलाकों में आने लगे हैं। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. पराग मधुकर धकाते कहते हैं कि तेंदुए को बाघ से खतरे की आशंका रहती है। जंगल में टाइगर का दायरा पता चलने पर वो क्षेत्र से दूरी बनाने की कोशिश करता है। यही वजह है कि फतेहपुर रेंज में इन दिनों गुलदार आबादी वाले इलाकों में लगातार दिखाई दे रहे हैं।

Next Story