उत्तराखंड न्यूज़: चीन-नेपाल को टाटा बाई बाई, उत्तराखंड से अब सीधे कैलाश मानसरोवर जा सकेंगे
देवभूमि उत्तराखंड न्यूज़: चीन सीमा को जोड़ने वाली घट्टाबगड़-लिपुलेख सड़क का काम 2 साल में पूरा हो जाएगा। इस सड़क के बनने से स्थानीय गांवों के लोगों और सुरक्षा बलों के जवानों को तो बेहतर आवागमन की सुविधा मिलेगी ही इसी के साथ ही कैलाश मानसरोवर की यात्रा भी बेहद सुगम हो जाएगी। इस प्रोजक्ट से भोले भक्त सीधा उत्तराखंड से ही कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जा सकेंगे। दरअसल केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को संसद में जानकारी दी कि दिसंबर 2023 तक सड़क बनने के बाद कैलाश मानसरोवर की यात्रा आसानी से कर सकेंगे। इससे श्रद्धालुओं को नेपाल या चीन के रास्ते कैलाश मानसरोवर नहीं जाना पड़ेगा। लोग पिथौरागढ़ से सीधे सड़क मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जा सकेंगे। बता दें कि 2006 में गर्बाधार से लिपुलेख तक सड़क का निर्माण शुरू किया गया था। तब 2012 तक इस सड़क का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। मगर विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण तय समय पर सड़क नहीं कट सकी।
बीआरओ के प्रयास के बाद चीन सीमा को जोड़ने वाली घट्टाबगड़-लिपुलेख सड़क की कटिंग का कार्य जून 2020 में पूरा हो पाया। कटिंग पूरी होने के बाद केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई 2020 को इस सड़क का वर्चुअल उद्घाटन भी किया था। हालांकि इसके बाद भी मुश्किल नहीं रुकी। इसके बाद इस सड़क पर बीआरओ के साथ ही सेना के वाहनों का भी संचालन हुआ था मगर छियालेख से आगे सड़क बेहद संकरी होने से वाहन संचालन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसको देखते हुए लिपुलेख तक कटिंग पूरी होने के बाद बीआरओ सड़क को चौड़ा करने के काम में जुटा हुआ है।बीआरओ ने आम लोगों की आवाजाही भी बंद कर दी है। स्थानीय लोगों और सेना के वाहनों को सप्ताह में केवल रविवार सुबह से सोमवार सुबह 11बजे तक ही आवागमन की अनुमति दी गई है। 2023 तक उत्तराखंड कैलाश मानसरोवर सड़क परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।