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विधानसभा में बैकडोर भर्तियों के मुद्दे सोशल मीडिया पर लिस्ट वॉर छिड़ गया है. एक के बाद एक लिस्ट विभिन्न माध्यमों से निकलकर बाहर आ रही है. इसमें विधानसभा में भर्ती लोगों के नाम के आगे इस बात का विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है कि उनका किस नेता से क्या संबंध है.
बता दें कि पहले एक सूची वायरल हुई थी, जो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल से जुड़ी थी. इस सूची में एक-एक नाम के आगे बीजेपी नेताओं से उनके संबंधों के बारे में बताया गया था. इसी तरह शनिवार को साल 2016 में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के समय में भर्ती लोगों की एक और सूची सोशल मीडिया में वायरल हुई है. इस सूची में बाकायदा तीन कॉलम में भर्ती हुए आदमी का नाम, पद और उनका अनेक नेताओं से रिश्ता दर्शाया गया है.
सूची के मुताबिक अधिकांश नामों के आगे पूर्व स्पीकर कुंजवाल का या तो सम्बन्धी बताया गया है या फिर उनके क्षेत्र का रहने वाला बताया गया है. इस सूची में कई नामों को पूर्व सीएम हरीश रावत, पूर्व कैबिनेट मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य से भी जोड़ा गया है. इसके अतिरिक्त कई अन्य कांग्रेस पार्टी नेताओं का नाम भी जोड़ा गया है. भर्ती होने वाले अधिकांश लोगों को रिश्तेदार, निजी स्टाफ और उनके क्षेत्र का होना बताया गया है.
पूर्व खेल मंत्री की भी सूची वायरल
कांग्रेस के एक विधायक और पूर्व में खेल मंत्री रहे एक नेता पर भी खेल विभाग में अनेक पदों पर संबंधियों को भर्ती करने का आरोप लगा है. सोशल मीडिया में इस संबंध में एक सूची वायरल हो रही है, जिसमें तत्कालीन खेल मंत्री पर खेल विभाग में विभिन्न पदों पर अपने संबंधियों को भर्ती किए जाने का उल्लेख किया गया है.
आयेंद्र शर्मा ने कोतवाली में दी तहरीर
सोशल मीडिया में वायरल हो रही एक सूची के संदर्भ में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता आयेंद्र शर्मा ने कोतवाली पुलिस में एक तहरीर दी, जिसमें उन्होंने बोला कि उक्त सूची में क्रम संख्या 115 में एक नाम के सामने उनका नाम लिखकर करीबी होना दर्शाया गया है. इसमें कोई सत्यता नहीं है. इससे उनकी सियासी छवि को धूमिल करने का कोशिश किया गया है. उन्होंने संबंधित आदमी के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की है.
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल स्वीकार कर चुके हैं कि उन्होंने अपने बेटे और बहू को विधानसभा में जॉब पर लगाया है. अब बारी बीजेपी की है. वह भी स्वीकार करे कि उन्होंने अपने किन-किन संबंधियों को नियुक्ति दी है. बीजेपी सत्ता में है, इसलिए इस समय उसकी नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है कि वह स्वीकार करे, जो भी गलत हुआ है.
Gulabi Jagat
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