उत्तराखंड

उत्तराखंड समाचार: रुड़की में प्रधानाध्यापक ने छात्र की टीसी पर चलाया रेड पेन, अब नहीं मिल रहा प्रवेश

Bhumika Sahu
7 Aug 2022 8:01 AM GMT
उत्तराखंड समाचार: रुड़की में प्रधानाध्यापक ने छात्र की टीसी पर चलाया रेड पेन, अब नहीं मिल रहा प्रवेश
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छात्र की टीसी पर चलाया रेड पेन

Uttarakhand News: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को साकार करने के लिए सरकार करोड़ो रुपए खर्च कर रही है। बेटियों की शिक्षा में कोई बाधा न हो इसलिए बेहतर शिक्षा के लिए कई योजनाएं भी संचालित की जा रही है। तो वही दूसरी और उत्तराखंड में राजकीय विद्यालय की प्रधानाचार्य ने हाईस्कूल पास की हुई चार बेटियों का भविष्य अंधकार में डुबा दिया है मामला मंगलौर के राजकीय कन्या उच्चतम माध्यम विद्यालय का है। विद्यालय में अध्यन कर रही मंगलौर की छात्राओ ने कक्षा 10 की परीक्षा पास की थी। आरोप है कि विद्यालय की प्रधानाचार्य ने कई छात्राओ की टीसी में लाल पेन से मार्क कर छात्रा के आचरण को दर्शाया गया है प्रधानाचार्य ने आचरण में छात्रा का निराशजनक विवरण दर्शाया गया है 14 साल की उम्र वाली छात्राओं को विद्यालय में राजनीति करने, विभागीय आदेश की अवहेलना करना, प्रधानाचार्य का अपमान करना, वी व्यवहार असंतोजनक बताया है।

जिससे छात्राओ को आगे की पढ़ाई के लिए किसी भी स्कूल में एडमिशन नही हो पा रहा है। ऐसी इस्थिति में छात्राओ का भविष्य अधर में लटक गया है। बच्चो को टीसी में लाल पेन से मार्क आचरण देखकर परिजनों के भी होश उड़ गए। शिक्षक के ऐसे वव्यहार को लेकर क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया। आखिरकार एक महिला शिक्षक बेटियों के भविष्यो को बर्बाद कैसे कर सकती है।
मामला विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंचा तो अधिकारियों के भी सर चकराने लगे और आनन फानन में विद्यालय के प्रधानाचार्य से स्पष्टीकरण का नोटिस जारी कर दिया। खंड शिक्षा अधिकारी ने कहा की अगर छात्राओ से किसी तरह की कोई गलती हुई थी तो उन्हे अभिभावकों को सूचित करना था इस तरह से टीसी पर रेड पेन से लिखना बहुत दुभाग्यपूर्ण है और मामले की जांच की जा रही है।
पीड़ित छात्राओ ने बताया की उन्होंने टीसी पर लिखे गए आचरण से वो बहुत आहत है उन्हे आगे की शिक्षा पूरी कर देश की सेवा करना चाहती थी लेकिन शिक्षा गुरु की इस दक्षिणा से उनके सभी सपने टूटकर बिखर गए। अब सवाल ये उठता है कि आखिरकार गुरु का दर्जा पाने वाली शिक्षक बेटियों के हौसले को बढ़ाने के बजाए उनको बर्बाद करने मे क्यों तुली हुई है। छोटे छोटे गांव से बाहर निकलकर बड़ी हिम्मत जुटाकर विद्यालय तक पहुंची बेटियों को अब डर सताने लगा।


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