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उत्तराखंड न्यूज: महेन्द्र भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने फिर चौंकाया
Gulabi Jagat
30 July 2022 12:10 PM GMT

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उत्तराखंड न्यूज
देहरादून। भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व लगातार चाहे मुख्यमंत्री का चयन हो या प्रदेश अध्यक्ष का। चुनावी पंडितों के गणित विफल कर देता है। भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने एक बार फिर लोगों को चौंकाया है।
मीडिया में जो चर्चित चेहरे अध्यक्ष पद के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे थे, उनको धता बताते हुए केन्द्रीय नेतृत्व ने अपेक्षाकृत कम चर्चित चेहरे महेन्द्र भट्ट को प्रदेश भाजपा का प्रमुख बनाकर सारे समीकरणों को एक साथ साध लिया है। भारतीय जनता पार्टी ने जहां गढ़वाल और कुमाऊं का संतुलन बनाया है वहीं मुख्यमंत्री ठाकुर और प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण का समीकरण भी साधा है। इसके साथ ही साथ जो नाम ज्यादा चर्चाओं में थे, वह जहां के तहां रह गए।
दो बार के विधायक महेन्द्र भट्ट इस बार अपनी सीट नहीं जीत पाए लेकिन भाजपा ने उन्हें पार्टी का नेतृत्व थमाकर इस बात का संकेत दे दिया है कि संगठन की दृष्टि हर कार्यकर्ता पर रहती है। महेन्द्र के जीवनवृत्त को देखा जाए तो युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष से लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारी रह चुके पूर्व विधायक महेन्द्र भट्ट ने अपनी 50 साल की उम्र में 1991 से 1996 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में प्रदेश सह मंत्री, जिला संयोजक, जिला संगठन मंत्री, विभाग संगठन मंत्री का जिम्मा संभाला है।
वह 1997 में भाजपा युवा मोर्चा का प्रदेश सह मंत्री भी रह चुके हैं। 1998 से 2000 में उत्तरांचल युवा मोर्चा में प्रदेश महामंत्री का दायित्व संभाला। उसके बाद महेन्द्र भट्ट 2000 से 2002 में राज्य निर्माण के समय उत्तरांचल प्रदेश युवा मोर्चा का प्रथम प्रदेश अध्यक्ष रहे। मात्र 32 वर्ष की उम्र में पहली बार विधायक बनने वाले महेंद्र भट्ट ने भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी परिश्रम किया है। यही कारण है कि संगठन ने उन्हें हारने के बावजूद यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है।
अगर भाजपा के प्रदेश अध्यक्षों की बात की जाए तो उनमें भी अजय भट्ट को जिस तरह दायित्व दिया गया था, वह अपने आप में काफी महत्वपूर्ण था। इसके बाद उन्हें नैनीताल लोकसभा से टिकट दिया गया और आज वह केन्द्र में रक्षा राज्यमंत्री है। इसी तरह पूर्व अध्यक्षों में तीरथ सिंह रावत का नाम प्रमुख है, जिन्हें विशेष रूप से अध्यक्ष बनाया गया और उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। चाहे मुख्यमंत्री चयन का मामला हो या प्रदेश अध्यक्ष का। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की दृष्टि अपने कार्यकर्ताओं पर रहती है और उचित अवसर आने पर उन्हें समायोजित करने का काम करती है।
Source: upuklive.com
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