उत्तराखंड

उत्तराखंड न्यूज: सरकार से शव ढूंढने की लगाई गुहार, ऑपरेशन मेघदूत में लापता शहीदों के परिवारों की जगी उम्मीद

Gulabi Jagat
16 Aug 2022 11:12 AM GMT
उत्तराखंड न्यूज: सरकार से शव ढूंढने की लगाई गुहार, ऑपरेशन मेघदूत में लापता शहीदों के परिवारों की जगी उम्मीद
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उत्तराखंड न्यूज
हल्द्वानी: सियाचिन में 29 मई 1984 को ऑपरेशन मेघदूत (Operation Meghdoot) के दौरान लापता हुए हल्द्वानी के शहीद चंद्रशेखर हरबोला (Martyred Jawan Chandrashekhar Harbola) का पार्थिव शरीर 38 साल बाद सियाचिन से बरामद होने के बाद, चंद्रशेखर के साथ लापता हुए हल्द्वानी निवासी लांस नायक दया किशन जोशी (Lance Naik Daya Kishan Joshi) और सिपाही हयात सिंह के परिजनों को भी उम्मीद जगी है. उन्होंने सरकार और शहीदों के पार्थिव शरीर तलाश कर परिवार को सौंपने की गुहार लगाई है.
ऑपरेशन मेघदूत के दौरान लापता हुए शहीद लांसनायक दया किशन जोशी और सिपाही हयात सिंह के परिजनों ने सरकार और सेना से गुहार लगाई है कि जिस तरह से लापता चंद्रशेखर के पार्थिव शरीर को 38 साल बाद सरकार ने ढूंढ निकाला है. उसी तरह से उनके भी शहीद बेटे के पार्थिव शरीर की खोज की जाए. दोनों लापता जवान के परिवार वालों का कहना है कि लांसनायक दया किशन जोशी और सिपाही हयात सिंह ऑपरेशन मेघदूत के समय चंद्रशेखर हरबोला के साथ थे.
शहीद की पत्नी विमला जोशी ने बताया कि उनके पति दया किशन 19 कुमाऊं रेजीमेंट (19 Kumaon Regiment) के जवान थे. 1984 को सियाचीन में ऑपरेशन मेघदूत (Operation Meghdoot in Siachen) में उनके पति शामिल थे. पति को मार्च में घर आना था, लेकिन वह नहीं आये. एक साल तक जब कोई संपर्क नहीं हुआ तो जब उनकी खोजबीन की तो पता चला कि ऑपरेशन मेघदूत में वह बर्फ में दब गए. सेना के अधिकारियों ने बताया कि 19 शहीद जवानों में से करीब 14 लोग की बॉडी मिल गई है, लेकिन 5 लोगों को पता नहीं चला.
कुछ दिन बाद सेना के लोग ने उनके पति का बक्सा लेकर उनके घर आये. जिसमें उनके सामान रखे हुए थे. सेना के अधिकारियों ने कहा कि वह बर्फ में दब गए हैं. अब उनकी बॉडी नहीं मिलेगी, आप लोग उनका अंतिम संस्कार कर दें. जिसके बाद पूरे रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया, लेकिन अब चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर मिलने के बाद उनको भी उम्मीद जगी है कि सेना और सरकार उनके पति को भी ढूंढ़ निकालेगी.
वहीं, हल्द्वानी के लालडांट भट्ट कॉलोनी निवासी बच्ची देवी ने कहा उनके पति सिपाही हयात सिंह 19 कुमाऊं रेजीमेंट के जवान थे. ऑपरेशन मेघदूत के समय वह भी शहीद चंद्रशेखर हरबोला के साथ थे. मार्च 1984 में उनके पति 2 महीनों की छुट्टी लेकर आए थे. उनको होली के बाद अपनी ड्यूटी पर जाना था, लेकिन उससे पहले सेना के अधिकारियों का टेलीग्राम आया. जिसके बाद उनके पति अपने बटालियन के लिए रवाना हो गए.
बच्ची देवी ने बताया कि उनके पति ने टेलीग्राम कर बताया था कि 11 अप्रैल को ऑपरेशन मेघदूत के लिए वे रवाना हुए हैं. 3 महीने बाद सेना के अधिकारियों का टेलीग्राम आया कि बर्फीले तूफान में दबने से सिपाही हयात सिंह की मौत हो गई है. उनका शव बरामद नहीं हो पाया है. कुछ दिनों से बाद सेना अधिकारी के बच्ची देवी के पति का बक्सा लेकर उनके घर पहुंचे. सेना के अधिकारियों ने बताया कि हयात सिंह शहीद हो गए हैं और उनका बॉडी बर्फ में दब गया है. ऐसे में अब आप लोग उनका अंतिम संस्कार कर दें.
जिसके बाद का शहीद हयात सिंह का अंतिम संस्कार (Martyr Hayat Singh funeral) किया गया. जब उनके पति हयात सिंह ऑपरेशन मेघदूत के दौरान बर्फीले तूफान में दब गए थे, उस समय उनका एक 4 साल का बेटा था. जबकि बच्ची देवी 5 महीने की गर्भवती थी. उस समय उनके ऊपर पहाड़ों का दुख टूट पड़ा था, जिसके बाद उन्होंने बच्चों को पाला. इस दौरान बच्ची देवी ने अपने दोनों बेटा और बेटी की शादी कर दी. अब उम्मीद है कि जिस तरह से चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर शव को सेना ने ढूंढ़ निकाला है. उसी तरह सरकार उनके पति को भी जरूर ढूंढ़ निकालेगी.
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