उत्तराखंड

उत्तराखंड: प्रशिक्षण के दौरान निम की ओर से हर कदम पर बरती गई लापरवाही

Gulabi Jagat
7 Oct 2022 6:28 AM GMT
उत्तराखंड: प्रशिक्षण के दौरान निम की ओर से हर कदम पर बरती गई लापरवाही
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उत्तराखंड न्यूज
उत्तरकाशी : Avalanche in Uttarkashi : नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के एडवांस पर्वतारोहण प्रशिक्षण दल के मंगलवार को हिमस्खलन की चपेट में आने से दो प्रशिक्षक और 27 प्रशिक्षु पर्वतारोही लापता हो गए थे। अब इनके जीवित होने की उम्मीद न्यून है।
इस प्रशिक्षण के दौरान हुई लापरवाही पर कई सवाल उठ रहे हैं, जिनके जवाब अभी अनुतरित हैं। पर्वतारोहण के प्रशिक्षण में किसी चोटी का आरोहण नहीं, बल्कि केवल हाइट गेन करना मुख्य लक्ष्य होता है।
इसी में कदम-कदम पर लापरवाही हुई है। यहां तक कि खोज-बचाव और सही सूचना जारी करने में भी निम की ओर से लापरवाही बरती गई।
ट्रैक की रेकी पर सवाल
निम में बेसिक और एडवांस पर्वतारोहण प्रशिक्षण के दौरान सुरक्षा को लेकर खास सावधानियां बरतनी होती हैं। सुरक्षा को लेकर किसी तरह का जोखिम नहीं लिया जाता। एडवांस कोर्स के प्रशिक्षुओं को जब हाइट गेन और आरोहण कराया जाता है, तब मुख्य प्रशिक्षक एक दिन पहले ही ट्रैक पर रस्सी बांध देते हैं और ट्रैक की रेकी भी करते हैं। ताकि किसी तरह का खतरा न हो। इसमें लापरवाही का अंदेशा है।
आंकड़ों को लेकर विरोधाभास
एडवांस पर्वतारोहण प्रशिक्षण के इस अभियान में लापता हुए प्रशिक्षुओं की संख्या को लेकर विरोधाभास की स्थिति बनी हुई है। गुरुवार दोपहर जब प्रशिक्षुओं के पांच शव बरामद हुए तो जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने मीडियाकर्मियों को बताया कि 22 अभी लापता हैं।
जबकि, निम के अधिकारियों ने बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बताया था कि 27 प्रशिक्षु लापता हैं और दो प्रशिक्षकों सहित चार व्यक्तियों के शव बरामद हुए हैं। ऐसे में लापता और मृतकों की संख्या 31 हो रही थी, लेकिन निम ने गुरुवार को लापता होने वालों का आंकड़ा ही बदल दिया और मृतक व लापता व्यक्तियों की कुल संख्या 29 बताई।
सर्च एंड रेस्क्यू प्रशिक्षण पर सवाल
निम दावा करता है कि सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स कराने वाला वह एशिया का इकलौता संस्थान है। लेकिन, मंगलवार सुबह जब दो प्रशिक्षक और 27 प्रशिक्षु हिमस्खलन में दबे तो रेस्क्यू करने के लिए वायु सेना, सेना, एनडीआरएफ, आइटीबीपी और हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग से मदद मांगी गई। इसके साथ ही निम को संसाधनों की कमी भी झेलनी पड़ी।
दो दिन बाद बुलाई गुलमर्ग की टीम
मंगलवार सुबह करीब 7:55 बजे हिमस्खलन की घटना हुई और 8:30 बजे तक इसकी सूचना निम के मुख्यालय पहुंच गई। लेकिन, इतनी बड़ी दुर्घटना की सूचना के बावजूद खोज-बचाव के लिए हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग की टीम को 48 घंटे बाद बुलाया गया।
एसडीआरएफ की रेस्क्यू टीम भी घटना के पांच घंटे बाद बेस कैंप पहुंची। त्वरित निर्णय न लेने और समय से रेस्क्यू टीम के न पहुंचने पर भी सवाल उठ रहे हैं।
जिम्मेदार अधिकारियों की गैर मौजूदगी
द्रौपदी का डांडा क्षेत्र में 23 सितंबर से बेसिक पर्वतारोहण प्रशिक्षण और एडवांस पर्वतारोहण प्रशिक्षण शुरू हुआ। लेकिन, निम का अधिकांश स्टाफ आचार्य बालकृष्ण के अन्वेषण अभियान में व्यस्त रहा।
प्रशिक्षण कोर्स में जिम्मेदार अधिकारी की कमी रही और वरिष्ठ अधिकारी के नाम पर बेस कैंप में केवल चिकित्सा अधिकारी ही मौजूद थे। घटना के दिन निम के प्रधानाचार्य भी किसी कार्यक्रम के सिलसिले में पुणे (महाराष्ट्र) गए हुए थे। निम के मुख्य प्रशिक्षक भी बेस कैंप व एडवांस कैंप में नहीं थे।
प्रशिक्षुओं की संख्या पर सवाल
उच्च हिमालयी क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। निम के अनुभवी प्रशिक्षक और जिम्मेदार अधिकारी इस बात को बखूबी जानते हैं। बावजूद इसके मंगलवार को हिमस्खलन की चपेट में 42-सदस्यीय दल के 29 सदस्य आ गए।
आरोहण के लिए एक साथ इतनी अधिक संख्या में प्रशिक्षुओं को ले जाने को लेकर कई सवाल उठे रहे हैं। अगर ये प्रशिक्षु अलग-अलग टीम बनाकर आरोहण करते तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती। प्रशिक्षुओं को एक साथ लेकर जाने का निर्णय किसका था, इस पर प्रश्न उठना लाजिमी है।
बनी हुई है संवादहीनता
निम और जिला प्रशासन के बीच संवादहीनता की स्थिति लगातार बनी हुई है। जिला प्रशासन खोज-बचाव व लापता प्रशिक्षुओं की जानकारी के लिए पूरी तरह से निम पर निर्भर है। प्रशासन को भी निम से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही है, जिस कारण लापता हुए प्रशिक्षुओं के स्वजन भी खासे परेशान हैं।
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