उत्तराखंड
उत्तराखंड: पीड़ित महिलाओं के पक्ष में आए वन मंत्री, निरीक्षण के लिए गांव पहुंची प्रशासन की टीम
Kajal Dubey
19 July 2022 11:38 AM GMT

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हेलंग में पुलिस व सीआईएसएफ महिला जवानों की ओर से एक महिला से चारापत्ती छीनने के बाद उपजे विवाद के मामले में सोमवार को जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने अधिकारियों की टीम मौके पर भेजी। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष ग्रामीणों ने राजस्व भूमि पर गांव के ही दो परिवारों की ओर से अतिक्रमण किए जाने की बात कही। साथ ही ग्रामीणों ने सोशल मीडिया पर चल रहे वायरल वीडियो को भी गलत बताया।
हेलंग गांव में एक महिला की पीठ पर रखे चारापत्ती को पुलिस व सीआईएसएफ की महिला जवानों की ओर से छीनने और उनका चालान करने का वीडियो वायरल हो गया था जिसके बाद यह मामला तूल पकड़ गया। डीएम हिमांशु खुराना ने मामले की सत्यता के लिए हेलंग गांव में अधिकारियों की टीम भेजी और टीम ने ग्रामीणों से इस संबंध में वार्ता की।
इस दौरान वन सरपंच प्रदीप भंडारी, महिला मंगल दल अध्यक्ष गीता देवी, ग्राम प्रधान आनंद सैलानी और स्थानीय निवासी गुड्डू लाल ने कहा कि ग्राम पंचायत की ओर से क्षेत्र में जल विद्युत परियोजना का निर्माण कर रही टीएचडीसी से गांव के समीप खेल मैदान व मिनी सचिवालय के निर्माण की मांग की थी। इस पर जोशीमठ एसडीएम व वन विभाग के डीएफओ की अनापत्ति के बाद कार्य शुरू हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के दो परिवार खेल मैदान के कार्यों में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। उन्हें वहां नहीं आने के लिए कहा जा रहा है फिर भी वह आ रहे हैं।
जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि यह मामला पिछले दो माह से चल रहा है। गांव के दो परिवार सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं।सोमवार को अधिकारियों की टीम मौके पर भेजी गई। गांव के लोगों ने प्रशासन को खेल मैदान निर्माण के साथ ही मिनी सचिवालय निर्माण में पूरा सहयोग करने की बात कही है।
महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार पर जताया आक्रोश
हेलंग में महिलाओं के साथ पुलिस व महिला जवानों की ओर से किए गए दुर्व्यवहार पर चमोली की महिला जनप्रतिनिधियों ने आक्रोश जताया। पूर्व जिला पंचायत सदस्य उषा रावत, चंद्रकला बिष्ट, अनसूया रावत, प्रीति नेगी, अंजू राणा, उमा नेगी, विलेश्वरी देवी, उषा बिष्ट आदि ने कहा कि पहाड़ की महिलाओं के संघर्षों के बाद उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ। यहां के हक-हकूकों को लेकर भी महिलाओं ने बलिदान दिया संघर्ष किया और कष्ट सहे। पहाड़ के पनघट व गौचर की भूमि में महिलाओं के गीत गूंजते थे वहां आज बड़ी-बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण का शोर है। लोगों को उनके हक-हकूकों से बेदखल किया जा रहा है। कहा गया कि इसके विरोध में आंदोलन भी करना पड़े तो पीछे नहीं हटेंगे।
ग्रामीणों को चारा-पत्ती लाने की मनाही नहीं : वन मंत्री
डंपिंग जोन से चारा-पत्ती लेकर आ रही महिलाओं को रोकने और छह घंटे तक पुलिस वाहन और थाने में बिठाने के बाद चालान करने के बाद छोड़ने के मामले में वन मंत्री सुबोध उनियाल ने रक्षात्मक रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को चारा-पत्ती लाने की कोई मनाही नहीं है।
महिलाओं से चारा-पत्ती छीनने के मामले में विभाग की स्थिति स्पष्ट करते हुए वन मंत्री ने कहा कि इस मामले में वन विभाग को कोई लेना-देना नहीं है। कार्रवाई में वन विभाग के कर्मचारी-अधिकारी शामिल नहीं थे। उन्होंने प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) विनोद कुमार सिंघल से जांच कर रिपोर्ट मांगी थी।
प्रमुख वन संरक्षक ने उन्हें बताया कि राजस्व विभाग की भूमि पर टीएचडीसी ने डंपिंग जोन बनाया है। इस भूमि पर स्थानीय ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से खेल मैदान बनाने का अनुरोध किया था। संबंधित भूमि पर एक परिवार की महिला की ओर से कब्जा किया गया है। इस जमीन को टीएचडीसी को स्टाफ क्वार्टर आदि के निर्माण के लिए पट्टे पर दे दी है।
माफी मांगे पुलिस और सीएसआईएफ
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर चारा-पत्ती छीनने के मामले में संबंधित अफसरों से माफी मांगने की मांग उठाई । मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने कहा कि एक ओर तो सरकार सड़क और विकास के नाम पर हजारों पेड़ों को काटने की अनुमति दे रही, लेकिन ग्रामीणों को उनके पशुओं के चारे के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। कहा कि मामले की जांच कर आरोपी अफसरों पर कार्रवाई नहीं की गई तो मंच आंदोलन करेगा। संवाद
मामले की जांच हो
संयुक्त नागरिक संगठन ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर जांच और कार्रवाई की मांग की है। संगठन के सुनील यागी ने कहा महिलाओं से चारा-पत्ती छीन कर बदसलूकी की गई। यह घटना घस्यारी कल्याण योजना की असफलता का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने घस्यारी महिलाओं के साथ हुई घटना की कार्यवाही की मांग की है। संवाद
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