उत्तराखंड
उत्तराखंड चुनाव 2022: पार्टी अध्यक्षों ने ठोकी ताल, इन सीटों पर दिग्गजों के बीच दिलचस्प होगा मुकाबला
Renuka Sahu
24 Jan 2022 4:06 AM GMT
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फाइल फोटो
उत्तराखंड के पांचवें विधानसभा चुनाव का रण सज चुका है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तराखंड के पांचवें विधानसभा चुनाव का रण सज चुका है। रणबेरी बजने के साथ ही दिग्गज नेताओं ने ताल ठोककर कई सीटों पर मुकाबला दिलचस्प कर दिया है। किसी सीट पर हर चुनाव में बदलाव की परंपरा रही है तो कई सीटें नेताओं की अभेद्य किला रही हैं। कांग्रेस-भाजपा और आम आदमी पार्टी की ओर से टिकटों पर प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही प्रत्याशी रण में उतर चुके हैं। इन पर मुकाबला बेहद रोमांचक है, अब देखने वाली बात ये होगी की जीत किसे मिलती है और किसे हार का मुंह देखना पड़ता है।
इन सीटों पर दिग्गजों के बीच मुकाबला
श्रीनगर : कांग्रेस अध्यक्ष गोदियाल व मंत्री धन सिंह आमने-सामने
श्रीनगर विधानसभा सीट पर इस बार रोचक मुकाबला होगा। यहां कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत के मुकाबले में इस बार श्रीनगर में 2012 के विधायक एवं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल मैदान में उतर गए हैं। इतिहास को खंगालें तो पता चलता है कि श्रीनगर की सीट अब तक एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा के नाम रही है। 2002 में कांग्रेस के सुंदरलाल मंद्रवाल ने 10,400 मत हासिल कर भाजपा के बृजमोहन को हराया। 2007 चुनाव में भाजपा के बृजमोहन कोटवाल ने 13551 मतों के साथ कांग्रेस के सुंदरलाल मंद्रवाल को मात दी। 2012 चुनाव में वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष कांग्रेस के प्रत्याशी गणेश गोदियाल ने 27993 मत हासिल कर भाजपा के डॉ. धन सिंह रावत को हराया। इसके बाद 2017 चुनाव में भाजपा के डॉ. धन सिंह रावत ने 30816 मत हासिल कर कांग्रेस के गणेश गोदियाल को हराया। दोनों ही प्रत्याशी इस बार भी आमने-सामने हैं। इस विधानसभा में एक लाख छह हजार 622 वोट हैं, जिनमें 54423 पुरुष और 52196 महिला मतदाता हैं।
गंगोत्री : भाजपा, कांग्रेस, आप में त्रिकोणीय मुकाबला
गंगोत्री विधानसभा सीट कई मिथकों से जुड़ी रही है। यह माना जाता है कि जो भी इस विधानसभा में जीत दर्ज करता है, राज्य में उसी दल की सरकार बनती है। इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है। कांग्रेस ने जहां विजयपाल सजवाण को टिकट दिया है, वहीं भाजपा ने अपने विधायक गोपाल रावत के निधन के बाद यहां सुरेश चौहान को टिकट दिया है। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी के सीएम उम्मीदवार कर्नल(रिटायर्ड) अजय कोठियाल भी इसी सीट से मैदान में उतर गए हैं। पुराना इतिहास देखें तो इस सीट पर 2002 चुनाव में कांग्रेस के विजयपाल सजवाण ने 7878 मत हासिल कर सीपीआई के कमलाराम नौटियाल को हराया था। तब भाजपा के बुद्धि सिंह पंवार यहां तीसरे स्थान पर रहे थे। 2007 चुनाव में भाजपा के गोपाल सिंह रावत ने 24250 मत हासिल कर कांग्रेस के विजयपाल सजवाण को मात दी। 2012 चुनाव में कांग्रेस के विजयपाल सजवाण ने फिर 20246 मत हासिल कर भाजपा के गोपाल सिंह रावत को हराया। 2017 चुनाव में भाजपा के गोपाल सिंह रावत ने 25683 वोट हासिल कर कांग्रेस के विजयपाल सजवाण को हराया था। इस विधानसभा में इस बार 86313 मतदाता अपना नेता चुनने जा रहे हैं, जिनमें 44344 पुरुष और 41968 महिला मतदाता शामिल हैं।
खटीमा : सीएम के खिलाफ लड़ने वालों में होड़
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ खटीमा सीट पर लड़ने की होड़ है। भाजपा से यहां इस बार भी धामी मैदान में हैं, कांग्रेस ने उनके खिलाफ भुवन कापड़ी को दोबारा मैदान में उतारा है। आम आदमी पार्टी ने भी यहां अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एसएस कलेर को टिकट दिया है। पुराना इतिहास कहता है कि यह सीट अब तक दो बार लगातार कांग्रेस और फिर दो बार लगातार भाजपा के खाते में रही है। 2002 में कांग्रेस के गोपाल सिंह ने 22588 वोटों के साथ बसपा के दान सिंह को हराया। दान सिंह ने 11844 मत हासिल किए। भाजपा की सुषमा राणा तीसरे नंबर पर रहीं। 2007 चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने गोपाल सिंह नाम के प्रत्याशी उतारे। कांग्रेस के गोपाल सिंह ने 36561 और भाजपा के गोपाल सिंह ने 17637 वोट हासिल किए। 2012 चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी पुष्कर सिंह धामी ने 20586 हासिल किए और 15192 वोट हासिल करने वाले कांग्रेस के देवेंद्र चंद को हराया। 2017 चुनाव में दोबारा भाजपा के प्रत्याशी पुष्कर सिंह धामी ने 29539 वोट हासिल किए और 26830 वोट हासिल करने वाले कांग्रेस के भुवन चंद्र कापड़ी को नजदीकी मुकाबले में हराया। इस बार यहां एक लाख 19 हजार 980 मतदाता अपना नेता चुनने जा रहे हैं, जिसमें 60797 पुरुष और 59178 महिला मतदाता हैं।
हरिद्वार : भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक का किला भेदने की चुनौती
हरिद्वार शहर की यह सीट लगातार चार चुनाव से भाजपा की झोली में है। 2002 में मदन कौशिक ने 18962 वोट के साथ 15970 वोट हासिल करने वाले कांग्रेस के पारस कुमार जैन को हराया। 2007 चुनाव में फिर मदन कौशिक ने 45093 हासिल कर समाजवादी पार्टी के अमरीश कुमार(16453 वोट) को हराया। कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही। 2012 चुनाव में मदन कौशिक ने 42297 वोटों के साथ 33677 वोट हासिल करने वाले कांग्रेस के सतपाल ब्रहमचारी को हराया। 2017 में मदन कौशिक ने लगातार चौथी बार जीत दर्ज की। मदन कौशिक ने 61742 मत हासिल किए जबकि कांग्रेस के ब्रहमस्वरूप ब्रहमचारी ने महज 25815 वोट हासिल किए। इस बार फिर चुनाव मैदान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक हैं तो उनके सामने दूसरी बार कांग्रेस ने सतपाल ब्रहमचारी पर दांव खेला है। इस विधानसभा में कुल एक लाख 48 हजार 730 मतदाता हैं, जिनमें 80673 पुरुष और 68045 महिला मतदाता शामिल हैं।
चकराता : प्रीतम सिंह को हराने की चुनौती, रामशरण नौटियाल सामने
चकराता विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह को हराने की बड़ी चुनौती है। पिछले चार चुनाव से लगातार यहां प्रीतम सिंह विजेता रहे हैं। 2002 में कांग्रेस के प्रीतम सिंह ने 18468 वोट लेकर 10292 वोट हासिल करने वाले मुन्ना सिंह चौहान को हराया। भाजपा तीसरे नंबर पर रही। 2007 चुनाव में फिर प्रीतम सिंह ने 22504 वोट हासिल किए और उन्होंने 18763 वोट हासिल करने वाली निर्दलीय प्रत्याशी मधु चौहान को मात दी। 2012 के चुनाव में प्रीतम सिंह ने 33187 और यूजेपी के मुन्ना सिंह चौहान ने 26533 वोट हासिल किए। 2017 चुनाव में लगातार चौथी बार प्रीतम सिंह जीते। उन्होंने 34968 वोट हासिल किए जबकि भाजपा की प्रत्याशी मधु चौहान 33425 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहीं। इस बार यहां एक लाख चार हजार 712 मतदाता हैं, जिनमें 57 हजार 18 पुरुष और 47694 महिला मतदाता शामिल हैं। इस बार प्रीतम सिंह के मुकाबले में भाजपा ने गायक जुबिन नौटियाल के पिता रामशरण नौटियाल को मैदान में उतारा है।
विकासनगर : क्या कायम रहेगी हर चुनाव में बदलाव की परंपरा
विकासनगर सीट का इतिहास देखें तो इस सीट पर हर चुनाव में जनता अपना प्रत्याशी बदल देती है। यहां एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की परंपरा रही है। 2002 चुनाव में कांग्रेस के नवप्रभात ने 8971 वोटों के साथ जीते जबकि यूजेपी के प्रत्याशी मुन्ना सिंह चौहान 8913 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे। भाजपा तीसरे नंबर पर रही। 2007 चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मुन्ना सिंह चौहान 29297 वोटों के साथ जीते जबकि कांग्रेस के नवप्रभात 24141 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे। 2012 में फिर बदलाव हुआ। कांग्रेस के नवप्रभात 32742 वोटों के साथ जीते जबकि भाजपा के कुलदीप कुमार 22885 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे। 2017 में मतदाताओं ने बदलाव करते हुए फिर भाजपा के मुन्ना सिंह चौहान को विधायक बनाया। मुन्ना सिंह चौहान ने 38895 वोट हासिल किए जबकि नवप्रभात 32477 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। इस बार यहां एक लाख आठ हजार 822 वोटर हैं, जिनमें 56431 पुरुष और 52386 महिला मतदाता हैं।
हल्द्वानी : क्या मां की विरासत को स्वर्णिम बनाएंगे सुमित ह्दयेश
हल्द्वानी सीट पर चार चुनाव का इतिहास देखें तो तीन बार यहां कांग्रेस नेता इंदिरा ह्दयेश विधायक चुनी गईं। पिछले दो चुनाव से वह लगातार विधायक थीं। इस बार कांग्रेस ने उनके बेटे सुमित ह्दयेश को टिकट दिया है। हालांकि भाजपा ने अभी अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया। सुमित के सामने यह चुनौती है कि वह किस तरह से अपनी स्वर्गीय मां की जीत की परंपरा को आगे बढ़ा पाएंगे। 2002 में इंदिरा ह्दयेश ने 23327 वोट हासिल कर भाजपा के प्रत्याशी बंशीधर भगत को हराया। बंशीधर ने 20269 वोट हासिल किए थे। 2007 चुनाव में भाजपा के बंशीधर भगत ने 39248 वोट हासिल किए और 35013 वोट हासिल करने वाली कांग्रेस की इंदिरा को हरा दिया। 2012 में इंदिरा ने 42627 वोट हासिल किए और भाजपा की रेनू अधिकारी महज 19044 पर सिमट गईं। 2017 में फिर इंदिरा ने 43786 हासिल किए और भाजपा के जोगेंदर पाल सिंह को हराया। जोगेंदर ने यहां 37229 हासिल किए। इस बार इस विधानसभा में एक लाख 50 हजार 634 मतदाता हैं, जिनमें 78642 पुरुष और 71992 महिला मतदाता हैं।
जागेश्वर : क्या ढह पाएगा कुंजवाल का किला
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का लगातार चार बार से जिस जागेश्वर सीट पर कब्जा रहा है। भाजपा यहां उनके खिलाफ किसे उतारेगी, यह कहना मुश्किल है लेकिन भाजपा के सामने कुंजवाल के किले को भेदने की चुनौती है। 2002 में कुंजवाल ने 11547 वोट पाए और उन्होंने 9225 वोट हासिल करने वाले भाजपा के रघुनाथ सिंह चौहान को मात दी। 2007 में कुंजवाल ने 18154 वोट हासिल किए। यहां भाजपा के रघुनाथ सिंह चौहान फिर 17027 पर अटक गए। 2012 चुनाव में कुंजवाल ने 18175 वोट हासिल कर 14310 वोट हासिल करने वाले भाजपा के बची सिंह को हराया। 2017 में कुंजवाल ने फिर 24132 वोटों के साथ जीत दर्ज की जबकि भाजपा के सुभाष पांडेय 23733 वोटों के साथ हार गए। इस बार इस विधानसभा में 93205 मतदाता हैं, जिनमें 48790 पुरुष और 44415 महिला मतदाता हैं।
नैनीताल : कांग्रेस की पूर्व महिला अध्यक्ष सरिता और विधायक संजीव के बीच टक्कर
नैनीताल विधानसभा सीट अभी तक एक बार यूकेकेडी, दो बार भाजपा और एक बार कांग्रेस के खाते में रही है। 2002 में यूकेकेडी के नारायण सिंह जंतीवाल ने 10864 वोट पाए और कांग्रेस की जया बिष्ट(8517 वोट) को हराया। 2007 में भाजपा के खरक सिंह बोहरा ने 12347 वोट हासिल कर यूकेकेडी के डॉ. नारायण सिंह जंतवाल को हराया। 2012 में कांग्रेस से सरिता आर्य 25563 वोटों के साथ विधायक बनी जबकि भाजपा के हेमचंद्र आर्य 19255 वोट हासिल कर पाए। 2017 में कांग्रेस से भाजपा गए यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य ने 30036 वोटों के साथ जीत दर्ज की औरी कांग्रेस की प्रत्याशी रही सरिता आर्य 22789 वोटों के साथ हार गई। इस बार यहां रोचक मुकाबला होगा। क्योंकि 2017 चुनाव में जो कांग्रेस से प्रत्याशी सरिता आर्य थीं, वह इस बार भाजपा से मैदान में हैं और जो संजीव आर्य भाजपा के विधायक थे, वह इस बार कांग्रेस से मैदान में हैं। सरिता हाल ही में महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़कर भाजपा में आई हैं। इस विधानसभा में एक लाख नौ हजार 808 मतदाता हैं, जिनमें 58108 पुरुष और 51700 महिला मतदाता हैं।
किच्छा : कौन बनेगा विधायक बेहड़ या शुक्ला
किच्छा सीट का इतिहास रोचक रहा है। पहले यहां लगातार दो बार कांग्रेस के तिलकराज बेहड़ विधायक रहे हैं तो इसके बाद लगातार दो बार से यह सीट भाजपा के राजेश शुक्ला के पास है। इस बार फिर कांग्रेस से बेहड़ और भाजपा से शुक्ला मैदान में आमने-सामने हैं। अब देखना होगा कि किसके सिर ताज सजेगा। 2002 में बेहड़ ने 21614 वोट हासिल कर सपा के राजेश कुमार को हराया। राजेश ने 14576 वोट पाए। भाजपा तीसरे नंबर पर रही। 2007 चुनाव में बेहड़ ने 46800 वोट हासिल किए और भाजपा के राजेश शुक्ला 40568 हासिल कर पाए। 2012 में बाजी पलटी। भाजपा के राजेश शुक्ला 33388 ने वोट हासिल कर जीत दर्ज की और कांग्रेस से सरवर यार खान 25162 वोटों के साथ हार गए। 2017 में फिर राजेश शुक्ला ने 40363 वोट हासिल कर कांग्रेस से प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को हराया। नजदीकी मुकाबले में हरीश रावत ने 38236 वोट हासिल किए। इस बार यहां एक लाख 39 हजार 58 मतदाता हैं, जिनमें 72921 पुरुष और 66133 महिला मतदाता हैं।
देवप्रयाग : फिर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
देवप्रयाग सीट का इतिहास भी काफी रोचक रहा है। इस बार के चुनाव में फिर भाजपा, कांग्रेस व यूकेडी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। 2002 चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी मंत्री प्रसाद नैथानी 9912 वोटों के साथ जीते। भाजपा के रघुवीर सिंह पंवार 7660 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे और यूकेकेडी के दिवाकर भट्ट तीसरे नंबर पर रहे। 2007 में यूकेडी के दिवाकर भट्ट 20980 वोटों के साथ जीते और कांग्रेस के मंत्री प्रसाद नैथानी 9385 वोटों पर सिमट गए। 2012 में निर्दलीय लड़े मंत्री प्रसाद नैथानी 12294 वोटों के साथ जीत गए जबकि भाजपा से लड़े दिवाकर भट्ट 10753 वोट पाकर हारे। 2017 चुनाव में भाजपा के विनोद कंडारी 13824 वोटों के साथ जीते। निर्दलीय लड़े दिवाकर भट्ट 10325 वोटों के साथ दूसरे और कांग्रेस के मंत्री प्रसाद नैथानी 8742 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे। इस बार भी यहां तीनों प्रत्याशी मैदान में हैं। इस विधानसभा में 85946 वोटर हैं, जिनमें 43673 पुरुष और 42269 महिला मतदाता शामिल हैं।
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