उत्तराखंड

Uttarakhand Assembly Elections: चुनाव से पहले कई जिलों और महानगरों के अध्यक्ष चेंज करेगी कांग्रेस

Gulabi
6 Dec 2021 9:40 AM GMT
Uttarakhand Assembly Elections: चुनाव से पहले कई जिलों और महानगरों के अध्यक्ष चेंज करेगी कांग्रेस
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अध्यक्ष चेंज करेगी कांग्रेस
उत्तराखंड (Uttarakhand) में होने वाले विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Elections) से कांग्रेस (Congress) राज्य के कई जिलों और महानगरों के अध्यक्षों को बदल सकती है. बताया जा रहा है कि चुनावों को देखते हुए संगठनात्मक फेरबदल किया जाएगा और इसके लिए नियुक्त किए गए ऑब्जर्वर ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. हवीं चुनाव की रणनीति के तहत कुछ जिला और महानगर अध्यक्षों को बदला जाएंगा. इसके लिए कांग्रेस आलाकमान ने भी राज्य नेतृत्व को मंजूरी दे दी है. हालांकि चर्चा ये भी है कि नए प्रदेश गणेश गोदियाल पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह के करीबी लोगों को हटाना चाहते हैं.
उत्तराखंड में होने वाले चुनाव कांग्रेस के लिए अहम है. क्योंकि पार्टी राज्य में सत्ता में नहीं है और इस बार फिर से सत्ता में आने के लिए वह संघर्ष कर रही है. पार्टी का पिछले पांच साल में राज्य में प्रदर्शन निराशा जनक रहा. जहां राज्य में वह 2017 के विधानसभा चुनाव में महज 10 सीटें ही जीत सकी थी. वहीं लोकसभा चुनाव में उसका खाता भी नहीं खुला. वहीं पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था. लिहाजा कांग्रेस इस बार विधानसभा चुनाव के लिए सभी तरह की तैयारी करना चाहती है. दरअसल राज्य अभी तक राज्य में कोई भी सरकार रिपीट नहीं हुई है. लिहाजा कांग्रेस को उम्मीद है कि वह इस बार चुनाव के बाद सत्ता में आ सकती है.
फ्रंटल संगठनों में भी किया जाएगा बदलाव
जिलों के पदाधिकारियों को बदलने के साथ ही फ्रंटल संगठनों में भी कुछ बदलाव पर विचार किया जा रहा है. फिलहाल इसके लिए पार्टी ने पदाधिकारियों की सक्रियता और गतिविधियों की समीक्षा के बाद कांग्रेस नेतृत्व पर विचार करने को कहा है. वहीं प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने पार्टी के सभी 26 जिला और महानगर संगठनों की समीक्षा के लिए दो-दो पर्यवेक्षक नियुक्त किए थे और पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. बताया जा रहा है कि पार्टी हरिद्वार, यूएस नगर, नैनीताल जिलों के पदाधिकारियों को बदल सकती है और पर्यवेक्षकों ने भी इन जिलों में विशेष ध्यान देने की सिफारिश की है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि चुनावी साल है, इसलिए पार्टी संगठन को और मेहनत करने की जरूरत और नेताओं की सक्रियता बढ़ानी होगी. पर्यवेक्षकों ने सलाह दी है कि उन नेताओं को नियुक्त किया जाना चाहिए जो अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं और जनता में जिनकी छवि अच्छी है.
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