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उत्तराखंड: केदारनाथ आपदा के 8 साल बाद तप्तकुंड में स्नान कर सकेंगी महिला श्रद्धालु

Admin Delhi 1
1 April 2022 1:17 PM GMT
उत्तराखंड: केदारनाथ आपदा के 8 साल बाद तप्तकुंड में स्नान कर सकेंगी महिला श्रद्धालु
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देवभूमि न्यूज़: उत्तराखंड में आई केदारनाथ यात्रा का जब भी जिक्र होता है तब वह खौफनाक मंजर आंखों के आगे अपने आप आ जाता है। केदारनाथ आपदा को बीते 8 साल हो चुके हैं मगर उसकी वजह से हुए नुकसान की भरपाई अब तक नहीं हो पाई है। 2013 में तप्त कुंड भी आपदा की भेंट चढ़ गया था।

जी हां, तप्त कुंड वह पुण्य स्नान है जिसके बगैर केदारनाथ यात्रा अधूरी है। 2013 के बाद से ही श्रद्धालु तप्त कुंड स्नान शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। इसी बीच केदारनाथ यात्रा का सीजन एक बार फिर से आने वाला है और महिला यात्रियों के लिए एक अच्छी खबर सामने आ रही है। केदारनाथ यात्रा में 8 साल से तप्त कुंड स्नान महिलाओं के लिए बंद हो रखा है। इस वर्ष उसको खोल दिया जाएगा और केदारनाथ आपदा के आठ वर्ष बाद महिला यात्री गौरीकुंड में तप्तकुंड स्नान का पुण्य अर्जित कर सकेंगी। आपदा के दौरान तप्तकुंड मंदाकिनी नदी के सैलाब में समा गया था। अब महिला यात्रियों के लिए तप्तकुंड का एक हिस्सा बनकर तैयार हो गया है। जबकि, पुरुष यात्रियों के लिए कुंड का निर्माण होना बाकी है। इसलिए इस बार भी पुरुष यात्रियों को तप्तकुंड स्नान से वंचित रहना पड़ेगा। जानकारी के लिए बता दें कि गौरीकुंड स्थित तप्तकुंड का केदारनाथ यात्रा की दृष्टि से विशेष महत्व है। परंपरा के अनुसार केदारनाथ यात्रा से पूर्व गौरीकुंड में तप्तकुंड स्नान को बेहद जरूरी माना गया है। मान्यता है कि गौरीकुंड में माता पार्वती (गौरी माई) ने भगवान शिव की आराधना की थी। इससे प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें दर्शन दिए और फिर यहां से कुछ दूर त्रियुगीनारायण नामक स्थान पर भगवान शिव व माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ। कहते हैं कि गौरीकुंड के तप्तकुंड में माता पार्वती स्नान किया करती थीं। पांडव भी इसी कुंड में स्नान के बाद केदारनाथ के लिए रवाना हुए थे।

केदारनाथ आपदा से पहले महिलाएं और पुरुष दोनों तप्त कुंड स्नान करके ही केदारनाथ यात्रा पर जाते थे मगर 2013 की आपदा के बाद जैसे सब कुछ बदल गया। यह तप्तकुंड 2013 की आपदा की भेंट चढ़ गया था इसलिए आपदा के बाद केदारनाथ जाने वाले यात्री इस पुण्य स्नान से वंचित हैं। गर्म पानी का स्रोत भी मूल स्थान से 50 मीटर नीचे मंदाकिनी नदी के किनारे फूट रहा है। यहां पानी की निकासी के लिए पाइप भी लगाया गया है। स्थानीय निवासियों की मांग पर वर्ष 2017 में तप्तकुंड के पुनर्निर्माण के लिए 3.5 करोड़ कार्ययोजना तैयार हुई। निर्माण का जिम्मा वुड स्टोन कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपा गया था, लेकिन तब धनराशि अवमुक्त न होने की वजह से कार्य शुरू नहीं हो पाया। वुड स्टोन कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रबंधक मनोज सेमवाल ने बताया कि अब तप्तकुंड के एक हिस्से का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। इस हिस्से में महिला यात्री स्नान कर सकेंगी। जिस हिस्से में पुरुष यात्रियों के लिए कुंड बनना है, वहां भूमि विवाद के चलते फिलहाल कार्य रुका हुआ है।

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