उत्तराखंड

उत्तराखंड के हिल स्टेशनों के लिए टनल पार्किंग के प्रस्ताव को मिली मंज़ूरी

Ritisha Jaiswal
29 July 2022 9:14 AM GMT
उत्तराखंड के हिल स्टेशनों के लिए टनल पार्किंग के प्रस्ताव को मिली मंज़ूरी
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उत्तराखंड में पर्यटन की बेशुमार संभावना और इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी पर लगातार बहस होती है,

उत्तराखंड में पर्यटन की बेशुमार संभावना और इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी पर लगातार बहस होती है, लेकिन अब इस मामले में पहाड़ों को एक बड़ी सौगात मिलने जा रही है. अब उत्तराखंड के उन हिल स्टेशनों को अंडरग्राउंड टनल पार्किंग मिलेगी, जहां पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं और जाम व पार्किंग की समस्या से न केवल पर्यटकों बल्कि स्थानीय लोगों और प्रशासन को भी जूझना पड़ता है. अत्याधुनिक तकनीक से बनने वाली इस तरह की पार्किंग के मामले में दावा किया जा रहा है कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा, जहां इस तह की पार्किंग व्यवस्था होगी.

उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार को बीते साल भर से टीएचडीसी ने अंडरग्राउंड टनल पार्किंग बनाने का प्रस्ताव दिया थाए जिस पर अब कैबिनेट ने मुहर लगा दी है. अब टीएचडीसी अन्य कंपनियों के साथ मिलकर हिल स्टेशनों पर पार्किंग की समस्या को दूर करने के इस प्रोजेक्ट पर काम करेगी. टीएचडीसी के सीएमडी राजीव बिश्नोई ने बताया कि जल्द ही नैनीताल, मसूरी और अन्य पर्यटन स्थलों पर अंडर ग्राउंड पार्किंग का काम शुरू हो जाएगा और पर्यटकों को जाम से मुक्ति के साथ ही अत्याधुनिक पार्किंग सुविधा भी मिलगी.
उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने मीडिया को बताया कि पहाड़ों में इस तरह की छोटी-छोटी टनल्स को पार्किंग के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाएगा. असल में यह प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग द्वारा रखा गया था, जिसे धामी सरकार की बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में मंज़ूरी मिल गई. संधू ने बताया कि इन टनल्स के निर्माण के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड, टिहरी हाइड्रो पावर डेवलपमेंट काॅरपोरेशन और उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड जैेसी संस्थाएं मिलकर काम करेंगी.
रोप-वे, सैटेलाइट सेंटर जैसे और भी बड़े फैसले हुए
कैबिनेट ने कुछ और बड़े फैसले लेते हुए उत्तराखंड भूस्खलन राहत एवं प्रबंधन केंद्र से जुड़े प्रस्ताव को भी मंज़ूरी दी. आपदा की ज़द में रहने वाले राज्य के इस फैसले को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह देश में इस तरह का पहला केंद्र होगा. इसके अलावा, 2019 से अटके हुए देहरादून-मसूरी रोपवे के प्रोजेक्ट के काम में तेज़ी लाने को भी मंज़ूरी दी गई क्योंकि ऊंचाई के बारे में स्पष्टता न होने के कारण यह मामला पेंडिंग चल रहा था.


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