उत्तराखंड

इस गांव के लोगों के लिए आज सपना है सड़क

Ritisha Jaiswal
27 July 2022 3:21 PM GMT
इस गांव के लोगों के लिए आज सपना है सड़क
x
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके 21वीं सदी में भी विकास जैसे शब्दों का अर्थ नहीं समझ पाते हैं. दरअसल इसमें गलती इनकी नहीं बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की है,

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके 21वीं सदी में भी विकास जैसे शब्दों का अर्थ नहीं समझ पाते हैं. दरअसल इसमें गलती इनकी नहीं बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की है, जो आज भी पहाड़ की भोली-भाली जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. आधुनिक दौर तो आज भी यहां के लोगों के लिए किसी सपने से कम नहीं है. अल्मोड़ा से तकरीबन 20 किलोमीटर की दूरी पर है कुटगोली गांव, इस गांव में सड़क नहीं होने से यहां के ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस गांव में आज तक सड़क नहीं आ पाई है. देखा जाए तो हवालबाग से करीब चार किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई से होते हुए कुटगोली गांव पहुंचना पड़ता है.

इस क्षेत्र में दो गांव आते हैं उढ़ियारी और कुटगोली. उढ़ियारी से होते हुए लोग कुटगोड़ी गांव की ओर जाते हैं, जहां सभी लोग चार किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई से होते हुए गांव की ओर जाते हैं. इसमें स्कूली बच्चे इस सड़क से जाते हैं. अगर स्कूल 7:30 बजे का हो, तो बच्चे सुबह करीब 6 बजे ही घर से निकल जाते हैं. बच्चे रोज सुबह और शाम इन्हीं रास्तों से स्कूल आते-जाते हैं. यहां के लोग अपना काम पूरा करने के लिए इन्हीं रास्तों से जाते हैं. गांव की महिलाएं अपने सिर पर सामान लेकर जाती हैं. गैस सिलेंडर से लेकर चक्की में राशन पिसवाने के लिए भी महिलाएं दूर-दूर जाती हैं.
जब यहां किसी की तबीयत खराब हो जाती है, तो उसे डोली, घोड़े या फिर पीठ पर लादकर मुख्य सड़क तक ले जाया जाता है. इस गांव की आय का मुख्य स्रोत खेती है. उसके लिए भी लोग अपनी सब्जी को बेचने के लिए सिर पर सब्जियों के डाले लेकर जाते हैं. इस गांव में अधिकतर लोग पलायन कर चुके हैं. पहले इस गांव में एक हजार से ज्यादा लोग रहते थे, पर अब इस गांव में करीब 400 लोग ही रह गए हैं.
गांव की रहने वालीं चंपा तिवारी ने बताया कि गांव में सड़क नहीं होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अगर गांव में किसी की तबीयत खराब हो जाए, तो गांव के लोगों के साथ लेबरों को लगाना पड़ता है कि वह बीमार व्यक्ति को गांव से शहर की ओर ले जाएं.
छात्र नवनीत तिवारी ने कहा कि वह स्कूल के लिए करीब डेढ़ घंटा पहले घर से निकल जाते हैं. जंगल होने के बावजूद यहां जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है, फिर भी स्कूल जाना पड़ता है. उनका कहना है कि सरकार से निवेदन है कि वह हमारे गांव में भी सड़क बना दे.
स्थानीय निवासी बसंत बल्लभ तिवारी ने कहा कि सरकार उनके गांव की ओर ध्यान नहीं दे रही है. गांव में कई बार एलाइनमेंट हो चुके हैं, पर उसके बावजूद भी सड़क का नामोनिशान नहीं है. कई बार प्रधानमंत्री और सीएम पोर्टल में शिकायत करने के बावजूद भी किसी ने सुध नहीं ली. उनका कहना है कि गांव के लोग अब यहां से पलायन कर चुके हैं, अब जितने और लोग बचे हैं, वह भी आने वाले समय में यहां से चले जाएंगे.
लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता इंद्रजीत बोस ने News 18 Local से इस बारे में कहा कि सड़क के संबंध में स्थानीय विधायक या सांसद अगर प्रस्ताव देते हैं, तो इसका एस्टीमेट बनाकर आगे भेजा जाएगा, जिसके पास होते ही सड़क निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.


Ritisha Jaiswal

Ritisha Jaiswal

    Next Story