चमोली के प्लांट में हादसे के बाद यूपीसीएल ने विद्युत सुरक्षा विभाग के साथ मिलकर जांच कराई तो ट्रांसफार्मर की अर्थिंग दुरुस्त पाई गई, लेकिन प्लांट के भीतर जब जांच हुई तो पता चला कि निर्धारित मानकों से 18 गुना अधिक प्रतिरोध तक अर्थिंग थी। इसे हादसे की बड़ी वजह माना जा रहा है।
विद्युत सुरक्षा विभाग के कर्मचारियों के ट्रांसफार्मर की अर्थिंग में खामी मामले में यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने कहा कि जांच के दौरान अर्थिंग बिल्कुल ठीक थी। हादसे के बाद भी ट्रांसफार्मर के एचटी और एलटी लाइन के फ्यूल भी दुरुस्त थे।
इससे संबंधित सभी प्रोटेक्शन सही पाए जाने के बाद ही विद्युत सुरक्षा विभाग ने दोबारा लाइन चालू की थी। लाइन चलाने के बाद मीटर की एमआरआई रिपोर्ट ली गई। इसमें स्पष्ट हो गया है कि बिजली कटने से पहले और हादसे के वक्त दोबारा चालू होने पर मीटर से 440 वोल्ट बिजली ही आगे गई है।
दूसरी ओर, प्लांट के भीतर की जांच के दौरान और चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। बताया जा रहा है कि प्लांट के भीतर पिट-1 की अर्थिंग प्रतिरोध 18 ओम, पिट-2 का अर्थिंग प्रतिरोध 14-15 ओम और फेंसिंग से पिट की अर्थिंग प्रतिरोध 11-12 ओम पाई गई।
दावों को सिरे से खारिज
नियामक आयोग के इलेक्ट्रिक सेफ्टी नियमों के हिसाब से अर्थिंग का ये प्रतिरोध एक ओम या इससे कम होना चाहिए था। ये प्रतिरोध अधिक होने की वजह से करंट अर्थिंग के माध्यम से नीचे नहीं गया। इसके बजाए प्लांट की मशीनों में ही घूमता रह गया और इतना बड़ा हादसा हुआ है।