उत्तराखंड

उत्तराखंड में 'लखपति दीदी' बनेंगी तीन लाख महिलाएं, कौशल विकास के साथ होगी कारोबार से जोड़ने की पहल

Renuka Sahu
2 July 2022 3:55 AM GMT
Three lakh women will become Lakhpati Didi in Uttarakhand, initiative will be taken to connect with business with skill development
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फाइल फोटो 

केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत तीन लाख महिलाओं को लखपति बनाने की योजना पर प्रदेश में काम शुरू हो गया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत तीन लाख महिलाओं को लखपति बनाने की योजना पर प्रदेश में काम शुरू हो गया है। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ीं महिलाओं के लिए 'लखपति दीदी' योजना के तहत उन्हें कौशल विकास के साथ सूक्ष्म उद्यमों के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश में इस वित्तीय वर्ष में 20 हजार नए स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक महिलाओं को योजना का लाभ मिल सके।

वर्तमान में प्रदेश के 95 ब्लाकों में 39,116 स्वयं सहायता समूहों में 3 लाख 5 हजार महिलाओं को संगठित कर 4 हजार 310 ग्राम संगठन और 259 क्लस्टर स्तरीय संगठनों का गठन किया गया है। इन संगठनों से जुड़ीं महिलाओं की आय दोगुनी करने के लिए कौशल विकास के साथ टिकाऊ, सूक्ष्म उद्यमों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट और उत्तराखंड इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट के माध्यम से महिलाओं को तमाम नए कामों में प्रशिक्षण देकर दक्ष बनाया जाएगा।
अभी तक एसएचजी से जुड़ीं महिलाएं आमतौर पर आचार, पापड़, हेंडिक्राफ्ट, सब्जी, रेशम, फल जैसे कामों तक ही सीमित हैं। आने वाले दिनों में इन महिलाओं को इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, टेंट हाउस, राजमिस्त्री, खाद बनाने, आर्गेनिक खेती, एलईडी बल्ब बनाने जैसे कामों में दक्ष बनाया जाएगा।
एक छत के नीचे होंगे सभी समूह
एसएचजी की ओर से तैयार उत्पादों के विपणन के लिए एनआरएलएम कार्यक्रम के माध्यम से इन्हें एक छत के नीचे लाया जाएगा। ताकि अलग-अलग समूहों को काम बांटकर इनकी एक चेन बनाई जा सके। इसके तहत समूहों को बैंक लोन लेने में भी आसानी होगी। पिछले वित्तीय वर्ष में 11 हजार समूहों को लोन दिलवाया गया था। इस बार यह लक्ष्य 18 हजार रखा गया है। राज्य के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी बजार मिले, इसके लिए भी योजना के तहत प्रयास किए जाएंगे। स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं महिलाओं के उत्पादों को उचित बाजार दिलवाने के लिए अमेजन, फ्लिपकार्ट, मंतरा, पे-टीएम मॉल जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइटों और गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस (जेम) से भी अनुबंध किया जा रहा है।
राज्य स्तरीय उत्तरा विपणन केंद्रों की संख्या बढ़ेगी
प्रदेश में वर्तमान में राज्य स्तरीय दो उत्तरा आउटलेट स्थापित किए जा चुके हैं। इनमें एक रानीपोखरी और एक रायपुर में स्थापित है। आजीविका मिशन के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रदीप पांडेय ने बताया कि आने वाले दिनों में इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा 13 जिला स्तरीय आउटलेट (सरस सेंटर), ब्लाक स्तर पर नौ क्लस्टर आउटलेट, 33 नैनो पैकेजिंग यूनिट और 24 ग्रोथ सेंटरों की स्थापना की गई है। जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पर भी एक आउटलेट बनाया गया है। इसके अलावा चारधाम यात्रा रूटों पर 17 अस्थायी आउटलेट बनाए गए हैं। जहां एसएचजी की ओर से तैयार उत्पादों को बेचा जाता है।
'लखपति दीदी' योजना के तहत एप के माध्यम से ब्लाक और जिला स्तर पर कोड-ऑर्डिनेटरों को ट्रेनिंग देने का काम शुरू कर दिया गया है। सर्वे के माध्यम से जाना जाएगा कि एसजीएच से जुड़ी महिलाएं वर्तमान में क्या-क्या काम कर रही हैं और क्या और बेहतर कर सकती हैं। सर्वे का काम होने के बाद एसजीएच के अलग-अलग ग्रुप को अलग-अलग काम सौंपे जाएंगे। ताकि उनकी आय प्रतिवर्ष एक लाख रुपये तक की जा सके।
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