उत्तराखंड

हजारों समलैंगिक जुटे, देहरादून के परेड ग्राउंड से LGBT कम्युनिटी ने निकाली प्राइड वॉक

Gulabi Jagat
24 July 2022 4:45 PM GMT
हजारों समलैंगिक जुटे, देहरादून के परेड ग्राउंड से LGBT कम्युनिटी ने निकाली प्राइड वॉक
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देहरादून: राजधानी देहरादून में आज एलजीबीटी समुदाय ने रंग-बिरंगे पोस्टर और फ्लैग लेकर प्राइड वॉक निकाली. इस दौरान एलजीबीटी समुदाय ने तृतीय गर्वोत्सव रैली निकालकर अपनी एकजुटता भी प्रदर्शित की. प्राइड वॉक में बड़ी संख्‍या में समलैंगिक और ट्रांसजेंडर शाम‍िल हुए. इस दौरान लोगों नाच गाकर अपनी खुशी का इजहार क‍िया. प्रयोजन कल्याण समिति की ओर से इस वॉक का आयोजन किया गया था.
एलजीबीटी समुदाय के सभी लोग देहरादून स्थित परेड ग्राउंड में एकत्रित हुए. उसके बाद एश्ले हॉल, बेहल चौक, ईसी रोड, सर्वे चौक से होते हुए सभी वापस परेड ग्राउंड पहुंचे. जहां रैली का समापन किया गया. इस दौरान ट्रांसजेंडर वेंकटेश ने कहा भारतीय सभ्यता के अनुसार सबको अपनी जिंदगी जीने का अधिकार है. हम सबको इस सत्य को अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा प्राइड वॉक में कई लोगों ने हिस्सा लिया है. इस वॉक के माध्यम से सेलिब्रेशन ऑफ लव इक्वेलिटी का मैसेज देने की कोशिश की जा रही है.
देहरादून में एलजीबीटी समुदाय का प्राइड वॉक
उन्होंने कहा 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर रिकॉग्निशन दिया था, किंतु 8 वर्ष बीतने के बावजूद आज भी कई जगहों पर ट्रांसजेंडर्स को मान्यता नहीं दी जाती है. उन्होंने कहा कोरोना काल में अस्पतालों व आइसोलेशन सेंटर्स पर ट्रांसजेंडरों के लिए बेड उपलब्ध नहीं थे, जबकि महिलाओं और पुरुषों के लिए बेड्स का अभाव नहीं दिखा. वेंकटेश का कहना है कि गरीबी के कारण ट्रांसजेंटर अपना इलाज किसी निजी अस्पताल में कराने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में सरकार को एलजीबीटी समुदाय के लिए अन्य लोगों की भांति सुविधाए उपलब्ध करानी चाहिए.
वहीं, दिल्ली से आए अभिनव का कहना है कि सबको अपनी इच्छा से जीने का अधिकार होना चाहिए. किसी भी व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत जीवन में जैसे चाहे जीने की आजादी मिलनी चाहिए.
क्यों निकाली जाती है प्राइड वॉक: LGBTQ समुदाय के लिए जून का महीना बहुत खास होता है. इस महीने को प्राइड मंथ के रूप पर मनाया जाता है. देश और दुनिया में प्राइड मार्च का आयोजन होता है. दरअसल, यही वो महीना है जब 1969 में न्यूयॉर्क में LGBTQ समुदाय के लोगों ने अपने ख‍िलाफ खिलाफ हो रहे अत्याचारों के ख‍िलाफ आवाज बुलंद की थी. इस पर वहां की पुलिस ने समलैंगिक लोगों को पकड़कर उन्हें मारा-पीटा और जेल में बंद कर दिया था. इसके बाद से ही इस महीने को प्राइड मंथ के रूप में मनाया जाने लगा.
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