उत्तराखंड

कबाड़ बन रहे है 15 साल पुराने वाहन

Admin4
16 Dec 2022 1:14 PM GMT
कबाड़ बन रहे है 15 साल पुराने वाहन
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रुड़की। किस्मत के खेल भी निराले हैं। अब रुड़की में ही देख लें, यहां 10 साल का एक बच्चा भीख मांगकर गुजारा कर रहा था। बच्चे के पिता की मौत हो गई थी, बाद में मां भी चल बसी। अब पता चला है कि दो वक्त की रोटी के लिए सब के आगे हाथ फैलाने को मजबूर ये बच्चा करोड़ों की जायजाद का मालिक है। दरअसल, उसके दादा ने मरने से पहले अपनी आधी जायदाद उसके नाम कर दी थी और वसीयत लिखे जाने के बाद से परिजन उसे ढूंढ रहे थे। जिस बच्चे की हम बात कर रहे हैं, उसका नाम शाहजेब है। शाहजेब का परिवार यूपी के सहारनपुर के पंडोली गांव में रहता है। साल 2019 में शाहजेब के पिता मोहम्मद नावेद का निधन हो गया था। तब शाहजेब की मां इमराना ससुरालवालों से नाराज होकर अपने मायके चली गई। साथ में 6 साल के शाहजेब को भी ले गई। बाद में वो कलियर क्षेत्र में आ गई। कोरोना महामारी के दौरान इमराना भी चल बसी और शाहजेब अनाथ हो गया। तब से शाहजेब कलियर में लावारिस जिंदगी जी रहा था। कभी वो चाय की दुकान में काम करता तो कभी सड़क पर भीख मांगता। आगे पढ़िए
इस बीच कलियर में सड़कों पर घूमते वक्त गांव के युवक मोबिन ने उसे पहचाना। उसने परिजनों को सूचना दी, जिसके बाद गुरुवार को वह बच्चे को अपने साथ घर ले गए। बच्चे के नाम गांव में पुश्तैनी मकान और पांच बीघा जमीन है। मासूम की खोजबीन के लिए परिजनों ने उसकी फोटो वॉट्सएप ग्रुपों और सोशल साइट्स पर डाली थी। परिजनों ने बताया कि बेटे की मौत और फिर बहू के घर छोड़कर चले जाने से शाहजेब के दादा दादा मोहम्मद याकूब सदमे में थे। हिमाचल में एक स्कूल से रिटायर याकूब की करीब दो साल पहले मौत हो चुकी है। उनके दो बेटों में से नावेद का निधन हो चुका, जिनके बेटे का नाम शाहजेब है। दादा ने अपनी वसीयत में लिखा था कि जब कभी भी मेरा पोता वापस आए तो उसे आधी जायदाद सौंप दी जाए। किस्मत की मार ने मासूम शाहजेब को भिखारी बना दिया था। उसके पास न रहने को घर था और न खाने को दो वक्त की रोटी का कोई इंतजाम। शाहजेब के सबसे छोटे दादा शाहआलम ने कहा कि शाहबेज को नए माहौल में ढलने में थोड़ा वक्त लगेगा, लेकिन वह उसे खूब प्यार देंगे और उसकी पढ़ाई शुरू कराएंगे।

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