ब्रेकिंग न्यूज़: जहां सांस लेना भी मुश्किल है वहां का सफर तय किया है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत दोनों बाइकर्स वहां पहुंचे थे। मनीष ने बताया कि वहां से सात किलोमीटर की दूरी पर चीन सीमा है। हाड़ कंपाने वाली ठंड और जोखिम भरी राहों की परवाह किए बगैर दो युवा बाइकर्स दुनिया के सबसे ऊंचे दर्रे से होकर गुजरते हुए उमलिंगला पास तक पहुंचने में कामयाब रहे। 35 वर्षीय मनीष चौधरी ने बताया कि हल्द्वानी से हिमाचल फिर रोहतांग दर्रा पार करने के बाद तागलांगला से चांगला के बीच का सफर (करीब 355 किमी) का था। समुद्र तल से 17 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर ज्यादा दिक्कत नहीं हुई, क्योंकि इस ऊंचाई पर बार-बार जाने का अनुभव है। 21 जुलाई को कैंप घेमूर (लाहौल स्पीति) से निकले और कारू में रुके। 22 को नुर्बुला पास होते हुए हालने के लिए (करीब 240 किमी) निकल पड़े। बकौल मनीष हानले में स्टे करने के बाद अगले दिन उमलिंग ला की सबसे ऊंची रोड पर सफर करने के लिए उत्साहित थे। इसी वजह से रात में ठीक से नींद भी नहीं आई और सुबह होने से पहले ही हानले से 86 किलोमीटर के सफर पर निकल पड़े।19024 फीट की ऊंचाई पर स्थित उमलिंग ला पहुंचने पर सांस लेने में थोड़ी दिक्कत हुई तो अहसास हुआ कि बीआरओ ने किस परिस्थिति में यहां शानदार सड़क बनाई होगी। दोपहर बाद वहां से वापसी की और शाम ढलने से पहले हम दोनों हानले में थे।
मनीष ने दावा तो नहीं किया लेकिन इतना जरूर कहा कि वह उत्तराखंड से पहले बाइकर्स होंगे जो दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर पहुंचे होंगे।19,024 फीट की ऊंचाई पर उमलिंग ला पास पर बनी रोड गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गई है। यहां पर गर्मियों में 10-20 डिग्री सेल्सियस तापमान होता है जबकि सर्दियों में तापमान -40 डिग्री से भी नीचे चला जाता है।मनीष ने बताया कि बीआरओ के अधिकारियों ने बताया कि सड़क निर्माण के दौरान काफी मुश्किलें आईं। समुद्रतल से काफी ऊंचाई पर होने से यहां ऑक्सीजन का स्तर कम था और निर्माण सामग्री पहुंचाना बहुत मुश्किल था। कई श्रमिकों और अधिकारियों को याददाश्त खोने और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं भी आईं। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रोजेक्ट हिमांक से जुड़े अधिकारियों और मजदूरों ने समुद्रतल से करीब 19300 फीट की ऊंचाई पर उमलिंगा टॉप पर सड़क बिछाकर इतिहास रच दिया है। 18,380 फीट की ऊंचाई पर खारदुंगला में बनी रोड अब उमलिंग ला के बाद दूसरे नंबर पर आ गई है।