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नन्हीं सी जान थी वो भी।
प्यारी सी मुस्कान थी उसकी भी।
प्यारी प्यारी लगती थी वो भी।।
एक दिन चल पड़ी थी वो भी।
अपने सपनों को पूरा करने।
छूना चाहती थी वो भी आसमां।।
खुद कुछ करना चाहती थी वो भी।।
एक पल में हो गए उसके सपने चूर चूर।।
लड़ न सकी वो अपने लिए।
फिर हो गई वो इस दुनिया से दूर।।
चरखा फीचर
महिमा सिंह
चोरसौ, गरुड़
बागेश्वर, उत्तराखंड
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