उत्तराखंड

आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी बदरीनाथ धाम में नृसिंह मंदिर में हुई विराजमान

Kunti Dhruw
22 Nov 2021 2:42 PM GMT
आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी बदरीनाथ धाम में नृसिंह मंदिर में हुई विराजमान
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आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी सोमवार को नृसिंह मंदिर में विराजमान हो गई।

Uttarakhand: आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी सोमवार को नृसिंह मंदिर में विराजमान हो गई। इस दौरान मंदिर में पहुंचे। तीर्थयात्रियों और स्थानीय श्रद्धालुओं ने भगवान नृसिंह के दर्शन कर मनौतियां मांगीं। 20 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद कुबेर जी और उद्धव जी की उत्सव डोली के साथ ही आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी को योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर लाया गया।

कुबेर जी और उद्धव जी की मूर्तियों को पांडुकेश्वर में स्थापित कर दिया गया, जबकि सोमवार को सुबह 10 बजे योग ध्यान बदरी मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद बदरीनाथ के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी और धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल व अन्य वेदपाठियों के नेतृत्व में गद्दी को जोशीमठ नृसिंह मंदिर लाया गया।
यहां मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं ने आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी का फूल-मालाओं से स्वागत किया। रावल ने नृसिंह मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस मौके पर देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, नृसिंह मंदिर के पुजारी संजय डिमरी, सुनील तिवारी, राजेंद्र चौहान, भूपेंद्र रावत, बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़, अजय सती, स्वामी मुकुंदानंद जी महाराज और भगवती प्रसाद नंबूरी आदि मौजूद थे।
छह माह तक सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करेंगे रावल
बदरीनाथ धाम के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी अब छह माह तक देश के विभिन्न हिस्सों में भ्रमण कर सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करेंगे। बदरीनाथ के रावल ग्रीष्मकाल में छह माह तक बदरीनाथ भगवान की पूजाओं का जिम्मा संभालते हैं, जबकि शीतकाल में वे छह माह तक विभिन्न मठ-मंदिरों में पूजा-अर्चना करने के साथ ही सनातन धर्म के कार्यों में लगे रहते हैं।
जबकि बदरीनाथ के धर्माधिकारी भी इस दौरान धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा के दौरान परंपरा है कि छह माह तक रावल और धर्माधिकारी कोई भी नदी-नाला पार नहीं कर सकते हैं। शीतकाल में छह माह तक रावल देश के विभिन्न प्रांतों में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में लगे रहते हैं।
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