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उत्तराखंड : शहर के सबसे निचले हिस्से में बसी जेपी कॉलोनी में फूटे झरने में शहर के घरों की दीवारों के दरकने, जमीन फटने और सड़कों के धंसने का रहस्य छुपा है। ये जमीन के नीचे जमा पानी है जो शहर में बने घरों, होटलों और भवनों की बुनियाद को खोखला कर रहा है।
हैरत की बात यह है कि तबाही के मुहाने पर सीढ़ीदार ढंग से बसे इस शहर में कोई सरकार ड्रेनेज सिस्टम का इंतजाम नहीं कर पाई। बरसात का कुछ पानी ढलान पर बसे इस शहर में ऊपर से नीचे उतरता हुआ नीचे बह रही अलकनंदा नदी में मिल जाता है। बाकी पानी शहर की उस धरती में रिसता रहता है, जो ग्लेशियर से बहाकर लाए गए लूज वोल्डर और मिट्टी के मलबे से बनी है।
आधुनिक टाउनशिप के रूप में बसी जेपी कॉलोनी में जब सब लोग गहरी नींद में सो रहे थे, तब गत 2/3 जनवरी की रात अचानक एक झरना फूट पड़ा। झरने का मटमैला पानी दिन रात लगातार बह रहा है। विशेषज्ञों की टीम हैरत में है कि इतनी तेज बहाव से झरना आखिर कहां से प्रकट हो गया?
यूपीसीएल का सब स्टेशन भी खतरे की जद में
जोशीमठ में बिजलीघरों पर भी भू-धंसाव का खतरा आ रहा है। इस खतरे को भांपने और इसका पहले ही उपाय करने को लेकर यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने चीफ इंजीनियर की अगुवाई में टीम रवाना कर दी है। यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने बताया कि एक सब स्टेशन और अन्य बिजलीघर ज्यादातर हाईवे के निकट हैं।
उन्होंने बताया कि जिस तरह से भू-धंसाव की खबरें आ रही हैं, उस हिसाब से बिजली व्यवस्था को सुचारु व सुरक्षित रखना भी चुनौती है।
इससे निपटने के लिए उन्होंने चीफ इंजीनियर की अध्यक्षता में एक टीम जोशीमठ रवाना की है। यह टीम सभी बिजलीघरों, बिजली लाइनों का निरीक्षण करेगी। इसके बाद अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को सौंपेगी।
बिजली के मरम्मत से जुड़े सभी सामान भी जोशीमठ में उपलब्ध करा दिए गए हैं। किसी भी अनहोनी से निपटने और इसका रास्ता तलाशने के लिए यूपीसीएल पूरी तरह से तैयार है।
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