उत्तराखंड
गैरसैंण के मुद्दे पर फिर गरमाई उत्तराखंड की सियासत, जाने क्या बोले- पूर्व सीएम हरीश रावत?
Renuka Sahu
8 Dec 2021 4:53 AM GMT
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फाइल फोटो
कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत विधानसभा चुनाव को लेकर सर्वाधिक सक्रिय हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत विधानसभा चुनाव को लेकर सर्वाधिक सक्रिय हैं। इन दिनों प्रदेश भर में जगह-जगह पदयात्राएं और जनसभाएं कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर सक्रियता में चुनिंदा राजनेता ही उनके करीब हैं। 70 साल से अधिक आयु के बावजूद रावत की सक्रियता देखने लायक है। रावत राज्य सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते। उन्होंने उत्तराखंडियत के मुद्दे को धार देना शुरू कर दिया है।
रावत ने घोषणा कर दी कि कांग्रेस की सरकार बनी तो उत्तराखंड की कोई ग्रीष्मकालीन या शीतकालीन राजधानी नहीं होगी। राजधानी एक होगी और वह होगी गैरसैंण। 'हिन्दुस्तान' के स्थानीय संपादक गिरीश गुरुरानी और विशेष संवाददाता चंद्रशेखर बुड़ाकोटी के साथ हरीश रावत ने ताजा राजनीतिक मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश।
सवाल: उत्तराखंड में वर्ष 2002 से लेकर अब तक के सभी विधानसभा चुनावों को आपकी अहम भागीदारी रही है। 2002 और 2022 के चुनाव में क्या अंतर देखते हैं?
जवाब: वर्ष 2002 से अब तक हर क्षेत्र में बदलाव आए हैं। लेकिन चुनाव के नजरिए से मुझे तब और अब में समानताएं भी दिखाई दे रही हैं। तब लोगों ने स्पष्ट रूप से मुझे वोट किया था और आज भी मैं जहां जहां जाता हूं, वहां वही उत्साह देख रहा हूं। कांग्रेस की जनसभाओं में यह बात लोग खुलकर कह भी रहे हैं। जनता ने सियासी बदलाव का मन बना लिया है।
सवाल: इक्कीस साल के उत्तराखंड की स्थाई राजधानी अब तक तय नहीं हो पाई। सत्ता में रहे दोनों दलों ने अब तक इस मुद्दे पर असमंजस बनाए रखा। आप कांग्रेस की सरकार बनने पर ढाई साल में राजधानी गैरसैंण शिफ्ट करने का ऐलान कर चुके हैं। क्या गैरसैंण को स्थाई राजधानी बना देंगे?
जवाब: हां, अब ग्रीष्मकालीन, शीतकालीन नहीं बल्कि एक राजधानी की बात होनी चाहिए। कांग्रेस सत्ता में आने पर एक राजधानी बनाएगी, वह होगी गैरसैंण। कैम्प आफिस दूसरी जगह हो सकता है। मेरा मानना है कि गैरसैंण न केवल उत्तराखंड बल्कि हिमालयी राज्य का प्रतीक है। जब उत्तराखंड का बिल संसद में आया था, तब भी हिमालयी राज्य के रूप में इसे प्रस्तुत किया गया था। गैरसैंण राज्य की सोच भी है।
इसी भावना के तहत मैंने चरणबद्ध तरीके से वहां राजधानी के स्तर का बुनियादी ढांचा विकसित करना शुरू किया। लेकिन भाजपा ने उन सभी कार्यों पर ब्रेक लगा दिया। कहने को ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दी, लेकिन ग्रीष्मकाल में भाजपा वहां कहां दिखाई दी? 25 हजार करोड़ रुपये का पैकेज विलुप्त हो गया। हाल ही में पीएम मोदी दून आए थे। 18 हजार करोड़ रुपये के विकास कार्यों का शिलान्यास-लोकार्पण किया। इनमें गैरसैंण कहीं नहीं था।
सवाल: कांग्रेस किन मुद्दों को लेकर विधानसभा चुनाव में उतरने जा रही है?
जवाब: आज का सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई है। फिर बेरोजगारी है। मैं प्रचार अभियान के दौरान लोगों से मिलता हूं, तो सबका दुख यही है कि सरकार ने जीना मुश्किल कर दिया है। एक गांव में सभा के बाद मैंने कुछ पूर्व सैनिकों से पूछा कि क्या चीज आपको ज्यादा परेशान कर रही है? तो जवाब मिला, महंगाई तो आज है कल कुछ कम भी हो सकती है।
लेकिन बेरोजगारी की वजह से हमारी पूरी पीढ़ी ही प्रभावित हो रही है। रोजगार के अवसर छिन चुके हैं। स्वरोजगार के मौके सरकार उपलब्ध करा नहीं पा रही है। कांग्रेस सरकार ने कई सेक्टर में स्वरोजगार के रास्ते खोले थे, सब्सिडी योजनाएं शुरू की थी। लेकिन इस सरकार ने सब बंद कर दिए हैं। महंगाई, बेरोजगारी और उत्तराखंडियत कांग्रेस के मुख्य मुद्दे रहेंगे।
सवाल: कृषि कानून, देवस्थानम बोर्ड ऐक्ट समेत कुछ प्रमुख मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकार रोलबैक कर विपक्ष के हाथ से कुछ अहम मुद्दे छीन लिए हैं। इससे आपकी रणनीति कितनी प्रभावित हुई है?
जवाब: कोई फैसला लेना और फिर रोलबैक करना, दोनों अलग अलग बातें हैं। फैसला लेने और वापस लेने के बीच का वक्त जो पीड़ा दे जाता है, क्या उस पीड़ा को भुलाया नहीं जा सकता। देवस्थानम बोर्ड पर सरकार ने दो साल तक तीर्थपुरोहित समाज को दुखी रखा। देवस्थलों में पूजा-अर्चना करने वाले पुरोहितों को सड़कों पर उतरना पड़ा। इस दंभी सरकार के ताने और व्यंगबाण भी सुनने पड़े। क्या उस दुख-पीड़ा की भरपाई हो सकती है। कृषि सुधार बिलों पर किसानों ने कितनी लंबी लड़ाई लड़ी। उत्पीड़न सहा, शहादत दी। वह टीस कभी खत्म नहीं हो सकती। हमारे पास मुद्दों की कोई कमी नहीं है।
सवाल: सत्ता में आने पर कांग्रेस बेरोजगारी चुनौती से कैसे पार पाएगी? कोई रणनीति है?
जवाब: देखिए, बेरोजगारी और पलायन को रोकने के लिए कोई रेडीमेड फार्मूला नहीं होता। मैंने अपनी सरकार के दौरान ही इस पर काम शुरू कर दिया था। उत्तराखंड में हमें केवल अपनी परंपरा और अपने आस-पास प्रकृति से मिले तोहफों पर ही फोकस करना है। अब देखिए, उत्तराखंड का मंडुवा जो पांच रुपये किलो भी नहीं बिक पाता था, आज 50 से 60 रुपये किलो तक बिक रहा है।
जैविक खेती हमारे लिए काफी उपयोगी है। अल्मोड़ा का पिछौड़ा ही एक हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहा है। जड़ी-बूटियां, स्थानीय उत्पाद काफी अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। मेरा साफ मानना है उत्तराखंड में बकरी पालन, दुग्ध उत्पादन और प्रकृतिप्रदत्त जड़ी-बूटी, कृषि-बागवानी फसलों से अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड तैयार हो सकते हैं। बस ईमानदारी से कदम उठाने की जरूरत है।
सवाल: सरकार का दावा है कि पांच माह में उसने 500 से ज्यादा फैसले लिए हैं। हर वर्ग को छूने की कोशिश की है। कांग्रेस के पास इसका क्या जवाब है?
जवाब: कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में जनहित में हजारों फैसले किए। करीब करीब हर विधानसभा क्षेत्र, ब्लॉक, गांव में कांग्रेस सरकार के वो विकास स्तंभ स्थापित हैं। लेकिन भाजपा ने सत्ता में आते ही उन सभी पर रोक लगा दी। आईटीआई बंद कर दी, पॉलीटेक्निक रोक दिए। एक परिवार में दो पेंशन की योजना बंद की। मेरी सरकार ने सरकारी सस्ते अनाज की दुकानों से एपीएल कार्ड धारकों को सस्ता अनाज देना शुरू किया था। भाजपा ने आते ही सबसे पहले उस अनाज का दाम दोगुना कर दिया।
कन्या धन योजना में हमने बेटियों के जन्म से उसके करियर को संवारने तक धन की व्यवस्था की थी। इस सरकार ने उस राशि को भी घटाकर आधा कर दिया। इंदिरा अम्मा कैंटीन स्थानीय उत्पादों की ब्रांडिंग और महिला सशक्तिकरण का बड़ा उदाहरण था। लेकिन दुख की बात है कि वर्तमान सरकार ने उसकी राह में भी कांटे बिछा दिए। ऐसे हजारों उदाहरण हैं, जो भाजपा सरकार के जनविरोधी चेहरे को बेनकाब करते हैं। मुझे तो बस याद भर दिलाना है, लोग इन बातों को स्वीकार भी रहे हैं।
सवाल: भाजपा संगठन के लिहाज से कांग्रेस से बहुत आगे है, इस चुनौती को कैसे देखते हैं?
जवाब: भाजपा ने संगठनात्मक मजबूती पर ध्यान जरूर दिया है। लेकिन चुनाव में भाजपा के पास केवल पीएम नरेंद्र मोदी हैं। स्थानीय स्तर पर सारी बातें कांग्रेस के पक्ष में हैं। इस विधानसभा चुनाव में मोदी से हमारी कोई तकरार नहीं है। मोदी से तब लड़ाई होगी, जब लोकसभा के चुनाव होंगे। राज्य में तो भाजपा ने खुद ही हमें तमाम मुद्दे दे दिए हैं। लोग कांग्रेस के साथ खड़े हो चुके हैं।
महिला सशक्तिकरण पर रहेगा कांग्रेस का फोकस
महिला सशक्तिकरण कांग्रेस की प्राथमिकता में शामिल है। पूर्व में कांग्रेस सरकार ने महिलाओं के आर्थिक, शैक्षिक, सामाजिक उन्नयन के लिए कई कदम उठाए थे। अब सरकार में आने पर वर्तमान सरकार द्वारा बंद की गई योजनाओं को दोबारा जीवित किया जाएगा। साथ ही कुछ नए प्रयोग भी पाइप लाइन में हैं।महिलाओं के लिए आर्थिक स्वावलंबन और सार्वभौमिक पुष्टाहार योजना लागू की जाएगी। ग्रामीण महिलाओं को स्मार्ट फोन और टैक्नोलॉजी का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए गांवों के पास जगह-जगह स्मार्ट फोन कोचिंग सेंटर बनाए जाएंगे। पांरपरिक वस्त्र-आभूषण पहनने वाली महिलाओं को साल में एक बार चेतौले की भैटोली देने की व्यवस्था भी की जाएगी।
चुनाव में भाजपा को हराओ-महंगाई घटाओ
रावत बोले, चुनाव में कांग्रेस नारा देने जा रही है- भाजपा हराओ, महंगाई घटाओ। अभी हाल के उपचुनाव के नतीजे इसका उदाहरण हैं। हिमाचल में तीन विधानसभा सीटें भाजपा हारी तो डीजल-पेट्रोल में तत्काल ही दस रुपये की कमी की। जनता को समझ लेना चाहिए कि यदि महंगाई को कम करने के लिए मजबूर करना है तो उसे भाजपा को बार-बार हराना होगा। उत्तराखंड के लोगों से मेरी अपील है कि वो कम से कम 50 सीटों पर भाजपा को हराएं। जब तीन सीट हारने से 10 रुपये डीजल-पेट्रोल सस्ता हो सकता है तो 50 सीट हराने पर डीजल-पेट्रोल और रसोई गैस के दाम कितने कम हो जाएंगे, अंदाजा लगाया जा सकता है।
आम आदमी पार्टी का उत्तराखंड में भविष्य नहीं
आम आदमी पार्टी तीसरे विकल्प के रूप में खुद को पेश कर रही है, लेकिन उसका यहां कोई भविष्य नहीं है। आप ने अब तक जो भी घोषणाएं की हैं, उनका कोई इंपेक्ट भी नहीं है। 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा प्रभावित नहीं कर रहा है। कांग्रेस पहले ही 100 और 200 यूनिट बिजली देने की बात कह चुकी। उन्होंने बेरोजगारी भत्ते की बात की, वो भी मेरा ही एजेंडा है। मैं पिछले चुनाव में यह वादा कर चुका हूं। बुजुर्गों को मुफ्त तीर्थ यात्रा की बात करती है तो लोग तत्काल कह उठते हैं कि यह तो हरीश रावत की मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ योजना की कापी है। संगठन स्तर पर सुधार करने का समय भी आप के पास नहीं है।
रावत का दावा, 50 सीटें जीतेगी राज्य में कांग्रेस
पूर्व सीएम हरीश रावत का दावा है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 50 सीट जीतकर सरकार बनाने जा रही है। इस चुनाव और वर्ष 2017 के चुनाव में काफी अंतर है। उस चुनाव में कांग्रेस को 33 से 34 प्रतिशत का आधार वोट उसके साथ मोदी की प्रचंड लहर में भी बना रहा। भाजपा को लाभ केवल यूकेडी, बसपा और अन्य दलों के वोट का मिला। भाजपा का मूल वोट करीब दो फीसदी तक टूटने जा रहा है। एससी वोट जो यशपाल आर्य के जाने से भाजपा के साथ गया, वह अब कांग्रेस के साथ आएगा। मेरा आकलन है कि इस वक्त भाजपा पर कांग्रेस दो प्रतिशत वोट की बढ़त बनाए हुए है।
पार्टी छोड़ गए सभी लोगों की वापसी संभव नहीं
वर्ष 2016 में पार्टी छोड़कर गए सभी लोगों की वापसी की संभावना अब कम ही है। यशपाल आर्य जी मूल रूप से कांग्रेस की विचारधारा के व्यक्ति हैं। यह उन्होंने स्वीकार भी किया। कांग्रेस के लिए वैचारिक रूप से वह उपयोगी भी हैं। लेकिन बाकी लोगों ने भाजपा के मूल चरित्र को वहां जाकर बदला है। यदि हमने उन लोगों को ही वापस ले लिया तो कांग्रेस तो फिर से पूरी भाजपा हो जाएगी। जो लोग वहां गए हैं, हमारे लिए राजनीतिक रूप से उनका भाजपा में ही रहना लाभदायक है। हालांकि दरवाजे बंद नहीं किए हैं, कुछ की वापसी हो भी सकती है।
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