उत्तराखंड

शासन ने वित्तीय अनियमितता में पूर्व मंत्री की करीबी दमयंती पर कसा जांच का शिकंजा, तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित

Renuka Sahu
3 July 2022 3:09 AM GMT
The government tightened the probe on the close Damayanti of the former minister in the financial irregularities, formed a three-member inquiry committee
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फाइल फोटो 

प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की करीबी रहीं शिक्षा विभाग की खंड शिक्षा अधिकारी दमयंती रावत पर शासन ने जांच का शिकंजा कस दिया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की करीबी रहीं शिक्षा विभाग की खंड शिक्षा अधिकारी दमयंती रावत पर शासन ने जांच का शिकंजा कस दिया है। उन पर भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की सचिव रहते हुए बिना प्रशासनिक अनुमति के 20 करोड़ की धनराशि हस्तांतरण कर वित्तीय अनियमितता का आरोप है। मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है।

शिक्षा सचिव रविनाथ रमन की ओर से जारी आदेश के मुताबिक दमयंती रावत उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड देहरादून में सचिव के पद पर कार्यरत थीं। उन पर आरोप है कि उन्होंने कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज की गैर प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति प्राप्त परियोजना के पक्ष में बिना सक्षम प्राधिकारी व प्रशासनिक अनुमति के कर्मचारी राज्य बीमा योजना को ऋण के रूप में 20 करोड़ रुपये हस्तांतरित कर दिए। सचिव के अनुसार दमयंती ने ऐसा कर वित्तीय नियमों का उल्लंघन किया है।
इस मामले में दमयंती को 22 सितंबर 2021 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। दमयंती ने इस पर अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए सभी आरोपों को अस्वीकार किया है। सचिव ने कहा कि इस मामले की जांच कराने के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है। श्रम आयुक्त संजय कुमार की अध्यक्षता में गठित समिति में वित्त नियंत्रक विद्यालयी शिक्षा मोहम्मद गुलफाम अहमद एवं उप निदेशक माध्यमिक शिक्षा हरेराम यादव को शामिल किया गया है। समिति से 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।
दमयंती रावत का विवादों से जुड़ा रहा है नाता
शिक्षा विभाग में खंड शिक्षा अधिकारी रहीं दमयंती रावत का नाता विवादों से जुड़ा रहा है। दमयंती को लेकर पूर्व में मंत्री रहे हरक सिंह रावत और पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे आमने सामने आ गए थे। शिक्षा विभाग की अनुमति के बिना उन्हें कर्मकार बोर्ड का अपर सीईओ बना दिया गया था। तत्कालीन शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने इस पर नाराजगी जताई थी। उनका कहना था कि दमयंती के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ने पर उन्हें बर्खास्त किया जाएगा। तत्कालीन शिक्षा सचिव भूपिंदर कौर औलख ने मामले की जांच के आदेश देते हुए तीन दिन में रिपोर्ट मांगी थी। पूर्व शिक्षा मंत्री नैथानी के बीच भी दमयंती रावत को लेकर विवाद हो चुका है। दमयंती पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की करीबी मानी जाती हैं।
शासन ने जांच समिति गठित की, पर जांच अधिकारी हैं इससे बेखबर
शिक्षा विभाग के कारनामे भी अजब-गजब हैं। शासन ने शिक्षा विभाग के जिस अधिकारी को दमयंती से जुड़े प्रकरण में जांच अधिकारी के रूप में शामिल किया है, उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है। शिक्षा सचिव रविनाथ रमन की ओर से जो जांच समिति गठित की गई है, उसमें उप शिक्षा निदेशक हरेराम यादव को जांच अधिकारी के रूप में शामिल किया गया है, लेकिन उप शिक्षा निदेशक हरेराम यादव का कहना है कि वह 30 जून को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वह जांच समिति में शामिल हैं, उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है।


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