पिंडारी ग्लेशियर के पास शंभू नदी में बन रही झील का मुहाना खोल दिए जाने से फिलहाल चमोली ज़िले में बाढ़ जैसा खतरा टल चुका है. इस साल मई के महीने में नदियों को जोड़ने की योजना का सर्वे करने आई यूसेक की टीम को शंभू नदी में झील बनने की जानकारी हुई थी. दुर्गम पहाड़ी रास्ता होने के कारण यहां जेसीबी और पोकलैन मशीनें नहीं भेजी जा सकीं. सारा काम 15 मजदूरों और एसडीआरएफ की टीम ने अंजाम दिया. जल्द ही झील से पूरा पानी निकाल देने की बात कही जा रही है.
शंभू नदी में बनी झील का मुहाना हाल में खोले जाने के बाद पानी की निकासी करवाने के लिए गई टीम अब वापस आ गई है. यह पूरा अभियान एक हफ्ते के करीब चला. प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम ने मलबे से पटी झील के मुहाने को खोला, तो झील वाले स्थान से अब 50 प्रतिशत पानी की निकासी होने लगी है. सिंचाई खंड कपकोट के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर जगत बिष्ट का कहना है कि अब सिंचाई विभाग की टीम झील पर निगरानी रखेगी.
शंभू नदी में बन रही झील का मुहाना खोला गया
बिष्ट के मुताबिक अगर विभाग को लगा कि फिर पानी जमा हो रहा है, तो फिर एसडीआरफ और मज़दूरों की टीम भेजकर काम करवाया जाएगा. बरसात के बाद विभाग जेसीबी और पोकलैन मशीन से भी झील खोलने की तैयारी कर रहा है.कपकोट तहसील के कुंवारी में शंभू नदी में बन रही झील का मुहाना हाल में खोल दिया गया, तो सिंचाई विभाग, तहसील प्रशासन और एसडीआरएफ ने संयुक्त रूप से झील से मलबा हटाया. फिलहाल झील बनने से चमोली जिले के थराली आदि क्षेत्रों के लिए जो खतरा पैदा हो गया था, झील का मुहाना खुलते ही काफ़ी पानी यहां से निकल जाने से टल गया. प्रशासन का कहना है कि झील से अब खतरा नहीं है. जल्दी पूरा पानी बाहर कर दिया जाएगा.
पहाड़ी से लगातार मलबा गिरने से नदी में बनी झील
दरअसल बागेश्वर के शंभू बुग्याल से निकलने वाली शंभू नदी में कुंवारी गांव की पहाड़ी से लगातर गिर रहे मलबे से झील बननी शुरू हो गई थी. झील की लंबाई बढ़कर 500 मीटर से ज़्यादा हो जाने से चमोली ज़िले के निकटवर्ती क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति की आशंका पैदा हो गई थी. लेकिन हाल में जिस तरह से इस अवरोध को हटाया गया, उससे दो दिन में झील में जलस्तर 6500 से घटकर 4500 क्यूसेक्स रह गया.