उत्तराखंड

लटकी बर्खास्तगी की तलवार, दागी दरोगाओं से वर्दी छीनी

Admin Delhi 1
19 Jan 2023 12:48 PM GMT
लटकी बर्खास्तगी की तलवार, दागी दरोगाओं से वर्दी छीनी
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हल्द्वानी: वर्ष 2015-16 की दरोगा भर्ती घोटाले में जारी हुई पहली सूची में शामिल दरागाओं की परेशानी और बढ़ गई है। सस्पेंड होने के साथ ही इन दरोगाओं के बदन से वर्दी उतार ली गई है। हालांकि सामान्य सस्पेंड पर वर्दी नहीं उतारी जाती।

बड़ी बात यह है कि इस सस्पेंड होने के साथ ही इन दागियों पर अब बर्खास्तगी की तलवार भी लटकने लगी है। पूरे मामले में पुलिस ने विभागीय जांच शुरू कर दी है और एक माह के भीतर जांच रिपोर्ट पुलिस महानिदेशक को सौंपी जानी है।

बता दें कि विजिलेंस की रिपोर्ट पर पुलिस मुख्यालय ने भर्ती हुए 339 दरोगाओं में से 20 दरोगाओं को सस्पेंड कर दिया था। मामले में विजिलेंस की जांच अब भी जारी है और माना जा रहा है कि अभी और दरोगाओं पर कार्रवाई होगी। बहरहाल, सूत्रों का कहना है कि विजिलेंस की रिपोर्ट के बाद पुलिस ने 20 दागियों के खिलाफ धारा 14/1 के तहत विभागीय जांच शुरू कर दी है। इस धारा के तहत आरोप सिद्ध होने पर या तो दागियों को बर्खास्त कर दिया जाएगा या फिर उनकी रैंक कम कर दी जाएगी। हालांकि बर्खास्तगी की संभावनाएं अधिक जताई जा रही हैं। हालांकि पुलिस अधिकारी अभी जांच शुरू करने की बात को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

इधर, जिन दरोगाओं के नाम सूची में शामिल हैं उनमें से चार दरोगा नैनीताल जिले के हैं। जबकि दागियों की सबसे अधिक संख्या ऊधमसिंहनगर में है। इसके अलावा देहरादून में पांच, पौड़ी गढ़वाल में एक, चमोली में एक, चम्पावत में एकऔर सीपी एसडीआरएफ में एक दरोगा की नियुक्ति थी। जिन नियमों के तहत आरोपियों की जांच की जा रही है, उसके तहत अब ये सभी दरोगा जांच पूरी होने और निर्णय आने तक वर्दी नहीं पहन सकेंगे। इधर, खबर यह भी है कि आरोपी कार्रवाई से बचने के लिए जोर-जुगाड़ में लग गए हैं। हालांकि विभागीय जांच के दौरान दागियों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाएगा, लेकिन इनके बचने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं।

इसलिए वर्दी नहीं पहन पाएंगे दागी दरोगा: पुलिस महकमे में दो तरह से लाइन हाजिर की कार्रवाई की जाती है। एक तो एसएसपी या एसपी स्तर से लाइन हाजिर किया जाता है और दूसरा पुलिस मुख्यालय स्तर से। एसएसपी या एसपी स्तर से लाइन हाजिर किए जाने पर आरोपी को पुलिस लाइन से अटैच किया जाता है और इस दौरान उसे न सिर्फ वर्दी पहनने का अधिकार होता है, बल्कि एक तय समय सीमा के बाद आरोपी को लाइन से निकल कर फिर से काम करने का मौका मिलता है। जबकि मुख्यालय से 14/1 के तहत जब लाइन हाजिर कर जांच की जाती है तो आरोपी से न सिर्फ वर्दी पहनने का अधिकार छीन लिया जाता है, बल्कि उसे लाइन में भी जगह नहीं दी जाती है। हालांकि उसे पुलिस लाइन में हाजिरी लगानी पड़ती है। आरोपियों को बेसिक वेतन तो मिलेगा, लेकिन भत्ते और इंक्रीमेंट का लाभ नहीं दिया जाएगा।

ये हैं विजिलेंस की रिपोर्ट में राज्य के दागी दरोगा

नाम उप निरीक्षक नियुक्ति जनपद

1. दीपक कौशिक ऊधमसिंहनगर

2. अर्जुन सिंह ऊधमसिंहनगर

3. बीना पपोला ऊधमसिंहनगर

4. जगत सिंह शाही ऊधमसिंहनगर

5. हरीश महर ऊधमसिंहनगर

6. लोकेश ऊधमसिंहनगर

7. सन्तोषी ऊधमसिंहनगर

8. नीरज चौहान नैनीताल

9. आरती पौरखरियाल नैनीताल (अभिसूचना)

10. प्रेमा कोरंगा नैनीताल

11. भावना बिष्ट नैनीताल

12. ओमबीर देहरादून

13. प्रवेश रावत देहरादून

14. राज नारायण व्यास देहरादून

15. जैनेन्द्र राणा देहरादून

16. निखिलेश बिष्ट देहरादून

17. पुष्पेन्द्र पौड़ी गढ़वाल

18. गगन मैठाणी चमोली

19. तेज कुमार चम्पावत

20. मोहित सिंह रौथाण पीसी एसबीआरएफ

इस मामले की जांच विजिलेंस कर रही है और जांच अब भी जारी है। हमारी तरह से अभी जांच शुरू नहीं की गई है। मुख्यालय की ओर से जब विभागीय जांच के लिए कहा जाएगा, तब धारा 14/1 के तहत जांच शुरू की जाएगी। इस धारा के तहत आरोपियों की बर्खास्तगी और रैंक कम करने का प्रावधान है। जांच को तय समय में पूरा कर आला अधिकारियों को रिपोर्ट पेश की जाएगी।

-डॉ.नीलेश आनंद भरणे, आईजी कुमाऊं

क्या है धारा 14/1 और 14/2, क्यों मजबूर हुआ मुख्यालय

हल्द्वानी। पूरे मामले में आरोपियों के खिलाफ धारा 14/1 या फिर 14/2 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। ये धाराएं उत्तराखंड पुलिस कर्मचारी दंड नियमावली के तहत आती हैं और जानकार मानते हैं कि आरोपियों के खिलाफ धारा 14/2 के तहत ही कार्रवाई की जाएगी। 14/2 के बैड एंट्री और इंक्रीमेंट रोकने का प्रावधान है। जबकि 14/1 के तहत बर्खास्तगी और रैंक कम की जा सकती है। इधर, एक बात और सामने आई है कि विजिलेंस द्वारा पेश किए गए मजबूत साक्ष्य की वजह से पुलिस मुख्यालय को सस्पेंड जैसी कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ा। जानकार बताते हैं कि अगर पुलिस मुख्यालय को यह लगता है कि वाकई विजिलेंस के सुबूत न्यायालय आरोपियों पर दोष सिद्ध करने में कारगर हैं तो दरोगाओं को सीधे बर्खास्त किया जा सकता है।

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