उत्तराखंड

बिजली बिलों में सब्सिडी जीरो, टैक्स 83 पैसे प्रति यूनिट

Admin Delhi 1
3 April 2023 8:24 AM GMT
बिजली बिलों में सब्सिडी जीरो, टैक्स 83 पैसे प्रति यूनिट
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नैनीताल न्यूज़: उत्तराखंड में आम उपभोक्ताओं के बिजली बिलों पर सबसे अधिक भार टैक्स का पड़ता है. आम उपभोक्ताओं से 83 पैसे प्रति यूनिट टैक्स वसूला जाता है. उपभोक्ताओं से कुल पांच प्रकार के टैक्स वसूले जाते हैं. उधर, दूसरे राज्यों की तरह उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं को बिलों में किसी तरह की सब्सिडी भी नहीं मिलती.

उत्तराखंड में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी, ग्रीन एनर्जी सेस, वाटर टैक्स, सेस व रायल्टी, फ्री रायल्टी पावर के रूप में यूपीसीएल पर टैक्स का भार 83 पैसे प्रति यूनिट पड़ता है जो सीधे बिजली उपभोक्ताओं से वसूला जाता है. हालांकि यूपीसीएल सरकार से उक्त टैक्स कम करने व सब्सिडी का लाभ देने की मांग कर रहा है.

अन्य राज्यों में सब्सिडी देश के तमाम राज्यों में बिजली उपभोक्ताओं को फ्री बिजली और सब्सिडी के रूप में राहत दी जा रही है. उत्तराखंड में किसी भी तरह की सब्सिडी नहीं मिल रही है. पड़ोसी राज्य हिमाचल की ही बात करें तो वहां प्रति परिवार 125 यूनिट बिजली फ्री मिल रही है. साथ ही बिल में भी प्रति यूनिट 60 पैसे सब्सिडी दी जाती है. इसी तरह मध्य प्रदेश 2.36 रुपये, राजस्थान 1.96 रुपये, पंजाब 1.94 रुपये, जम्मू कश्मीर 1.54 रुपये, हरियाणा 1.33 रुपये, गुजरात 88 पैसे और उत्तर प्रदेश 85 पैसे प्रति यूनिट की सब्सिडी का लाभ बिजली उपभोक्ताओं को बिलों में दे रहे हैं. इस तरह हिमाचल हर साल 520 करोड़ रुपये प्रति वर्ष, यूपी 7661 करोड़, पंजाब 9657 करोड़, राजस्थान 12767 करोड़, गुजरात 6911 करोड़, एमपी 13864 करोड़, हरियाणा 5566 करोड़, जम्मू कश्मीर 1200 करोड़ रुपये की सब्सिडी देता है.

सब्सिडी का लाभ देना और टैक्स कम करने का विषय शासन का है. आयोग का अधिकार क्षेत्र सिर्फ ऊर्जा निगम की ओर से भेजे जाने वाले प्रस्ताव का अध्ययन कर बिजली दरें तय करना है.

-एमके जैन, तकनीकी सदस्य नियामक आयोग

एक से दरें लागू करना नियम विरुद्ध परिषद

उत्तराखंड में बिजली की बढ़ी दर टैरिफ लागू करने पर यूपी उपभोक्ता राज्य विद्युत परिषद ने आपत्ति

जताई है. परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार

ने उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को भेजे पत्र में कहा है कि 30 मार्च को जारी आदेश को महज 24 घंटे में लागू करना असंवैधानिक है. ये विद्युत अधिनियम 2003 के नियमों का उल्लंघन है. इस पर आयोग के सचिव नीरज सती ने कहा कि आदेश जारी करने के बाद उसे सभी पक्षों को उपलब्ध कराना होता है जो करा दिया गया है. कुछ भी नियम विरुद्ध नहीं हुआ है. अगर किसी को आपत्ति है, तो विधिवत याचिका दायर कर सकता है.

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