उत्तराखंड

कुछ लोग पार्टी में दरार डालने की कोशिश कर रहे: विधायक हरभजन सिंह चीमा

Shantanu Roy
30 Nov 2021 8:41 AM GMT
कुछ लोग पार्टी में दरार डालने की कोशिश कर रहे: विधायक हरभजन सिंह चीमा
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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव-2022 (Uttarakhand Assembly Election-2022) नजदीक हैं. ऐसे में भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा (BJP mla Harbhajan Singh Cheema) ने अपने बेटे त्रिलोक सिंह चीमा (Trilok Singh Cheema) के लिए पार्टी से टिकट की दावेदारी पेश की.

जनता से रिश्ता। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव-2022 (Uttarakhand Assembly Election-2022) नजदीक हैं. ऐसे में भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा (BJP mla Harbhajan Singh Cheema) ने अपने बेटे त्रिलोक सिंह चीमा (Trilok Singh Cheema) के लिए पार्टी से टिकट की दावेदारी पेश की. इसके साथ ही काशीपुर में बीते रोज पूर्व सांसद बलराज पासी की रैली को उन्होंने दरार डालने वाला करार दिया.विधायक चीमा ने बीते दिन पूर्व सांसद बलराज पासी की रैली को लेकर कहा कि न संगठन और न संघ ने इस रोड शो के आयोजन के लिए उन्हें कहा था. ये पार्टी में दरार डालने वाला काम है. हालांकि, पहले चीमा सीधे तौर पर पासी का नाम लेने से बचने की कोशिश करते दिखाई दिए लेकिन बाद में चीमा ने रोड शो में लगे नारे 'हर हर काशी-घर घर पासी' को पूरी तरह गलत बताया.

इसके साथ ही चीमा ने अपने 20 वर्षों के अबतक के कार्यकाल को शहर के लिए उपलब्धि भरा बताया. उन्होंने कहा कि उनके इस कार्यकाल में काशीपुर विधानसभा के हर घर को बिजली, पानी के साथ-साथ हर घर तक पक्की सड़कों का जाल बिछाया गया. उनके 2002 में विधायक बनने से पहले काशीपुर में गुंडागर्दी चरम पर थी. हर नागरिक गुंडों के आतंक से परेशान था. शहर में व्यापार करना मुश्किल हो गया था. गुंडा तत्व कहीं भी किसी को भी धमका कर वसूली करते थे. लेकिन जब से वह विधायक बने तब से कोई गुंडा किसी को मार तो नहीं सकता पर मर सकता है.
वहीं, उन्होंने अपने बेटे त्रिलोक सिंह चीमा को दावेदार के रूप में पेश किए जाने को लेकर कहा कि अब उनकी आयु 76 वर्ष की हो चुकी है. पार्टी की नीति है कि 75 पार लोगों को पार्टी टिकट नहीं देती. अब अगर पार्टी की ओर से उन्हें टिकट के लिए मना किया जाता है तो वह स्वयं को दावेदारी से अलग कर रहे हैं, लेकिन अपने बेटे त्रिलोक सिंह चीमा के लिए वह पार्टी से टिकट मांग कर रहे हैं. हालांकि चीमा ने यह भी कहा कि वे टिकट मांग रहे हैं लेकिन निर्णय अंतिम रूप से पार्टी को लेना है. अगर पार्टी किसी अन्य को टिकट देती है तो वह उसे भी चुनाव लड़ाएंगे क्योंकि वह पार्टी के निर्देशों से बंधे हुए हैं.


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