उत्तराखंड

18 साल की उम्र में शुभम ने किया कमाल, पहले ही प्रयास में पास एनडीए

Rani Sahu
23 Dec 2022 11:12 AM GMT
18 साल की उम्र में शुभम ने किया कमाल, पहले ही प्रयास में पास एनडीए
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बागेश्वर, (आईएएनएस)| पहाड़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। समय- समय पर विविध क्षेत्रों में उच्च सफलता हासिल कर पहाड़ के युवक- युवतियां अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। कहते हैं कई बच्चों में बचपन से ही प्रतिभा झलकती है और वे छोटी सी उम्र में ही कमाल कर दिखाते हैं। ऐसे लोगों की विलक्षण बुद्धि को गॉड गिफ्ट कहा जाता है। ऐसा ही कमाल दिखाने वाला एक और नाम प्रकाश में आया है - शुभम नैनवाल जिसने मेहनत व कुशाग्र बुद्धि के बल पर महज 18 साल की उम्र में पहले प्रयास में भारतीय सैन्य सेवा की प्रतिष्ठित परीक्षा एनडीए उत्तीर्ण कर सेना में अधिकारी बनने का रास्ता साफ कर लिया है। अपनी प्रतिभा को साबित करने वाले शुभम नैनवाल, बागेश्वर जिले के गरूड़ क्षेत्र के राजकीय इंटर कॉलेज लोहारचौरा में प्रवक्ता पद पर कार्यरत दिनेश नैनवाल के सुपुत्र हैं जो मूल रूप से गढ़वाल के जोशीमठ नगर निवासी हैं। यहीं शुभम का 26 सितंबर 2004 को जन्म हुआ। शुभम की माता आशा नैनवाल गृहिणी है। शुभम का परिवार वर्तमान में हल्दूचौड़, नैनीताल में निवास करता है। उनकी बड़ी बहन मुक्ता नैनवाल पंतनगर से शोध कार्य के साथ विवेकानंद कृषि संस्थान अल्मोड़ा में भी योगदान दे रही है। दूसरी बड़ी बहन सिविल अभियांत्रिकी में स्नातक की पढ़ाई कर रही है।
प्रतिभावान छात्र शुभम नैनवाल का कमाल ये है कि उसने भारतीय सैन्य सेवा की प्रतिष्ठित परीक्षा एनडीए को लक्ष्य बनाया और इंटर की पढ़ाई पूरी होते ही उसकी तैयारी में एकाग्रता से जुड़ गया। शुभम ने पहले ही प्रयास में यह उच्च स्तरीय परीक्षा पास कर अपना व परिवार का नाम रोशन कर दिया। साथ ही सेना में अफसर बनने के सपने को सच साबित कर दिया। इतना ही नहीं इस उल्लेखनीय उपलब्धि से अन्य युवाओं को आगे बढ़ने व मेहनत करने कर सफल होने की प्रेरणा दे डाली। यह भी साबित कर दिया कि पहाड़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है।
शुभम ने बुनियादी शिक्षा टिहरी गढ़वाल के लंब गांव स्थित शिशु मंदिर से ली। इसके बाद उन्होंने सेंट एडम्स गरुड़ (बागेश्वर) से 10वीं बोर्ड की परीक्षा पास की और इसके बाद केंद्रीय विद्यालय कौसानी से 12वीं की बोर्ड परीक्षा वर्ष 2022 में ही उत्तीर्ण की है।
शुभम अपनी इस सफलता का राज अपनी ही समयबद्ध कठोर मेहनत को बताते हैं, लेकिन इसमें अपने मित्रों, परिजनों, गुरुजनों के मार्गदर्शन व सहयोग को बेहद मददगार मानते हैं। शुभम की इस उपलब्धि से गरुड़ व कौसानी क्षेत्र सहित उनके गांव में हर्ष का वातावरण है। शुभम के मामा लेखक व पत्रकार हरीश जोशी ने बताया कि शुभम बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के रहे हैं। उन्हें पढ़ाई के साथ ही पाठ्य सहगामी गतिविधियों में भी खासी अभिरुचि है। क्षेत्र के कई लोगों द्वारा उन्हें बधाईयां दी जा रही हैं।
--आईएएनएस
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