उत्तराखंड | किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए हार को कभी भी दिल पर और जीत को कभी भी दिमाग पर नहीं लगने देना चाहिए। चुनौतियां सभी क्षेत्र में हैं, लेकिन सफल होने के लिए हमें अपने काम में जुनूनी होना होता है। यह बात अमर उजाला संवाद कार्यक्रम के जिद और जुनून सत्र में भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री रानी रामपाल और डबल ट्रेप निशानेबाज रोंजन सोढ़ी ने कहीं।
रानी रामपाल ने कहा, मैं पहली महिला हॉकी खिलाड़ी हूं जिसके नाम पर स्टेडियम बना है, यह मेरे लिए गर्व की बात है। रानी रामपाल ने टोक्यो ओलंपिक 2020 के उस मुकाबले के अनुभव साझा किए जिसमें टीम इंडिया ब्रिटेन से हारकर कांस्य पदक जीतने से चूक गई थी। उन्होंने कहा, हमारे पास हारने को बहुत कुछ था, लेकिन हमने आशा नहीं छोड़ी। हम जुनून और मेहनत से क्वार्टर फाइनल तक पहुंच पाए। जिसकी बदौलत हमारी टीम ने देश का दिल जीता। जब टीम भारत लौटी तो सबने जिस तरह से हमारा स्वागत किया, वह हमारी जीत से कम नहीं था।
लगातार दो विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाले निशानेबाज रोंजन सोढ़ी को ओलंपिक में मिली हार का आज भी मलाल है। इस पर बात करते हुए रोंजन ने कहा, मुकाबले से ठीक पहले खेल मंत्री ने मुझे तीन बार बुलाया था। इसके बाद मीडिया समेत अन्य लोगों के सवालों से मैं प्रेशर से आ गया और निशाने से चूक गया। जिसका मलाल जीवन भर रहेगा। अर्जुन पुरस्कार और राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित रोंजन सोढ़ी ने कहा, ओलंपिक अन्य खेलों की तरह नहीं है। यहां देश का प्रतिनिधित्व करने का चार साल में एक बार मौका मिलता है। पहले के मुकाबले अब सभी खेलों व खिलाड़ियों को सरकार, संस्थाओं और मीडिया का बहुत सहयोग मिल रहा है। जिसके चलते आने वाले सालों में भारत खेल के क्षेत्र में अलग पहचान बनाएगा। कोई भी मुकाबला जीतने के लिए सुविधाएं मिलने के साथ ही खिलाड़ियों का जुनूनी होना भी जरूरी है।
हॉकी खिलाड़ी रानी रामपाल अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में अपने पिता रामपाल के साथ पहुंचीं। उन्होंने बताया, उनके पिता दूसरी बार किसी कार्यक्रम में शामिल हुए हैं। पहली बार जब वर्ष 2020 में राष्ट्रपति भवन में मुझे पद्मश्री मिला था तब और इसके बाद अब देहरादून में अमर उजाला के संवाद कार्यक्रम के लिए।