उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा चोटी आरोहण के दौरान एवलांच की घटना में निम उत्तरकाशी के दो प्रशिक्षु अभी भी लापता हैं। उनकी तलाश की जा रही है। इस दौरान एसडीआरएफ के जवान द्रोपदी का डांडा-2 में हुए हिमस्खलन दुर्घटना में लापता प्रशिक्षुओं की सर्चिंग के लिए 18,500 फीट की ऊंचाई पर गहरे कैरावास में उतरते दिख रहे हैं जिसका एक वीडियो सामने आया है।
मंगलवार यानी कल पूरे दिन भारी बर्फबारी होने के कारण खोज बचाव अभियान नहीं चल पाया। वहीं बुधवार यानी आज मौसम अनुकूल रहने पर रेस्क्यू अभियान चलाया गया।
SDRF Uttarakhand Police ने ट्वीट कर लिखा- द्रोपदी का डांडा-2 में हुई हिमस्खलन दुर्घटना में लापता प्रशिक्षुओं की सर्चिंग के लिए 18500 फ़ीट की ऊँचाई पर गहरे कैरावास में उतरता SDRF जवान।
Draupadi ka Danda
बीते 4 अक्टूबर को द्रौपदी का डांडा -2 चोटी पर आए हिमस्खलन (Uttarkashi Avalanche) में अभी तक 29 में से 27 शव निकाल लिए गए हैं। रेस्क्यू दल ने 4 शव घटना के दिन ही फर्स्ट रिस्पांडर ने ढूंढ लिए थे। कुल 27 शव मिल चुके हैं और 2 अब भी लापता हैं।
दरअसल उतरकाशी जिले में स्थित नेहरु पर्वतारोहण संस्थान का 42 सदस्सीय एडवांस कोर्स का प्रशिक्षु व प्रशिक्षक दल 4 अक्टूबर को समिट कैंप से द्रौपदी का डांडा आरोहण के लिए गया था।
इनमें से 29 लोग एवलांच की चपेट में आ गए थे, जिनमें से दो प्रशिक्षक सहित 27 के शव बरामद कर लिए गए हैं। जबकि दो अभी भी लापता हैं।
कहा जाता है कि महाभारत का युद्ध जीतने के बाद पांडव यहीं से स्वर्ग गए थे। इस जगह से पूरा हिमालय क्षेत्र दिखता है। ऐसे में इसका नाम द्रौपदी का डांडा रख दिया गया। माना जाता है कि आज भी स्थानीय लोग इस पर्वत की पूजा करते हैं।
द्रौपदी का डांडा समुद्रतल से 18,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां जाने के लिए पहले उत्तरकाशी से भटवाड़ी पहुंचना पड़ता है।