उत्तराखंड

पिथौरागढ़ में शिव-पार्वती से जुड़ा है महिलाओं का सबसे लोकप्रिय त्यौहार

Manish Sahu
26 Aug 2023 2:29 PM GMT
पिथौरागढ़ में शिव-पार्वती से जुड़ा है महिलाओं का सबसे लोकप्रिय त्यौहार
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उत्तराखंड:पिथौरागढ़ में इन दिनों सातूं-आठूं पर्व की धूम है जो पिथौरागढ़ के रामलीला मैदान में इन दिनों चला हुआ है. उत्तराखंड के कुमाऊं में मनाया जाने वाला सबसे लोकप्रिय त्यौहार हैं सातूं-आठूं जो विशेष रूप से पिथौरागढ़ में मनाया जाता है. इस बार का यह आयोजन पूरे एक हफ्ते चलेगा. जिसमें हर रोज पहाड़ के पारंपरिक नृत्य झोड़ा, चांचरी गाकर शिव-पार्वती की पूजा की जाएगी.
सातूं-आठूं पर्व भगवान शिव और पार्वती से जुड़ा हुआ है. पार्वती जिसे कुमाऊं में गौरा कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस महीने वह अपने मायके कुमाऊं में आती हैं जिन्हें लेने के लिए शिव कैलाश से पहुंचते हैं और शिव-पार्वती की विदाई का जश्न पूरे पहाड़ में मनाया जाता है. यह परंपरा यहां सदियों से मनाई जा रही है. यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसे पिथौरागढ़ के हर गांवों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.
बिरुडों से होती है शिव-पार्वती की पूजा
अब गांवों से लोग पिथौरागढ़ शहर में पलायन कर चुके हैं और यहां रामलीला मैदान में आयोजित सातूं-आठूं पर्व में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा होकर अपने लोक त्यौहार को मना रहे हैं. सातूं-आठूं पर्व की महत्वता बताते हुए यहां की स्थानीय महिला भावना पांडे बताती हैं कि अपनी संतान और पति की दीर्घायु के लिए सातूं-आठूं पर महिलाओं द्वारा व्रत रखा जाता है. प्रसाद के रूप में 7 प्रकार के अनाज भिगाये जाते हैं जिसे यहां बिरुड़ कहा जाता है. इन्हीं बिरुडों से शिव-पार्वती की पूजा की जाती है.
कुमाऊं को एक सूत्र में बांधता है त्यौहार
सातूं-आठूं का पर्व तब मनाया जाता है जब पहाड़ में होने वाले मोटे अनाज की फसल तैयार हो जाती है. इन्ही फसलों के पौंधों से शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाई जाती है और महिलाएं विशेष रूप से इस त्यौहार को मनाती है एक तरफ से देखा जाए तो यह पहाड़ों में महिलाओं के द्वारा मनाए जाने वाला त्यौहार भी है. यहां के स्थानीय निवासी दीपक सिंह बताते हैं कि कुमाऊं में मनाये जाने वाला त्यौहार सातूं-आठूं ने यहां लोगों को एक सूत्र में बांधे रहने का प्रयास किया है और वह इस त्यौहार में छुट्टी लेकर जरूर अपने लोगों के बीच पहुंचते है.
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